अंशुल मौर्या
वाराणसी,9 सितंबर,2024
अपनी परंपराओं, आस्थाओं के लिए मशहूर देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी अनोखे मेले और दर्शन पूजा के लिए भी जानी जाती है। इन्हीं में से एक है सोरहिया का मेला।
सोरहिया मेला शहर के बीचो-बीच स्थित लक्सा के लक्ष्मीकुंड पर लगता है। लक्ष्मीकुंड पर स्थित महालक्ष्मी मंदिर में 16 दिनों तक पूजा पाठ के लिए भीड़ उमड़ी रहती है।
मां लक्ष्मी के दरबार में पुत्र की कामना व दीर्घायु के लिए महिलाओं की तरफ से सोरहिया मेला का शुभारंभ बुधवार 11 सितंबर से होगा। इस मेले में बनारस सहित पूरे देश के कोने-कोने से महिलाएं आती हैं और मन्नतें करती हैं। इस दौरान महिलाओं ने मां भगवती को 16 गांठ का धागा अर्पित करके 16 दिन के अनुष्ठान का संकल्प लेती हैं।
पुराणों में बताया गया है कि माता पार्वती ने महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए काशी में यह पूजन किया था। उन्होंने 16 कलश स्थापित करके पूजन किया और महालक्ष्मी प्रसन्न हुई थीं। उन्होंने माता पार्वती को पुत्रवती होने का वरदान दिया और कहा कि जो भी यह 16 दिनों का व्रत अनुष्ठान करेगा उसको धन-धान्य, सौभाग्य और पुत्र की प्राप्ति होगी।
सोलह दिन तक चलने वाले सोरहिया मेले में महालक्ष्मी की आराधना की जाती है। लक्ष्मी कुंड में मौजूद महालक्ष्मी का दर्शन इन दिनों फलदायक होता है। मेले के पहले दिन लोग महालक्ष्मी की प्रतिमा खरीद कर घर ले जाते हैं। उस प्रतिमा की 16 दिनों तक कमल के फूल से पूजा होती है। कहा जाता है कि सोरहिया में मां लक्ष्मी की पूजा से घर में सुख, शांति, आरोग्य, ऐश्वर्य और लक्ष्मी निवास करती है। मेला शुरू होते ही लक्ष्मीकुंड में आराधना शुरू हो जाती है। लक्ष्मी का मंदिर परिसर श्रीसूक्त, स्वर्णाकर्षण के मंत्रों से गूंज उठता है। भक्तगण मां लक्ष्मी की खास प्रतिमा और कपड़े खरीदते हैं।