लखनऊ, 21 दिसंबर 2025:
यूपी की राजधानी लखनऊ स्थित विश्वविख्यात किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में एमडी की पढ़ाई कर रही छात्रा का धर्मांतरण कराने की कोशिश का गंभीर मामला सामने आया है। आरोप है कि एक मुस्लिम रेजिडेंट डॉक्टर ने अपनी हिंदू सहपाठी रेजिडेंट छात्रा पर प्रेम-विवाह से पहले धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया। छात्रा के इंकार करने पर कथित तौर पर उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। इससे आहत होकर उसने आत्महत्या का प्रयास किया। फिलहाल पीड़िता को ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में भर्ती कराया गया है। उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
यह मामला ऐसे समय उजागर हुआ है जब केजीएमयू में दीक्षांत समारोह आयोजित किया जा रहा था। रविवार को ही विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस मनाया जाना है। पीड़िता के परिजनों के अनुसार उनकी बेटी ने गत जुलाई माह में केजीएमयू में एमडी पैथोलॉजी में दाखिला लिया और हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही थी। इसी दौरान उसकी पहचान संस्थान के एक पुरुष रेजिडेंट डॉक्टर से हुई। उसने कथित तौर पर प्रेम संबंध स्थापित किया और विवाह का आश्वासन देकर शारीरिक शोषण किया।

परिजनों का आरोप है कि जब विवाह की बात सामने आई तो आरोपी रेजिडेंट ने छात्रा पर इस्लाम स्वीकार करने का दबाव बनाया। छात्रा के इनकार करने पर मानसिक उत्पीड़न शुरू हुआ। बाद में आरोपी ने उससे संबंध तोड़ लिए। परिजनों के अनुसार जब छात्रा ने इस रिश्ते से बाहर निकलने का निर्णय लिया तो आरोपी ने उसे परेशान करना जारी रखा। इससे मानसिक रूप से टूट चुकी छात्रा ने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या का प्रयास किया। गंभीर अवस्था में उसे ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया।
पीड़िता के पिता ने इस सनसनीखेज मामले की मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल और राज्य महिला आयोग में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। शिकायती पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि आरोपी रेजिडेंट डॉक्टर पहले भी फरवरी माह में एक अन्य हिंदू युवती का धर्म परिवर्तन कराकर विवाह कर चुका है। इस तथ्य को उसने छिपाए रखा। पत्र के अनुसार जब पीड़िता को इसकी जानकारी हुई तो आरोपी ने कथित तौर पर यह कहकर भरोसा दिलाने की कोशिश की कि वह पहली पत्नी को छोड़कर उससे विवाह करेगा, बशर्ते वह धर्म परिवर्तन कर ले।
इस पूरे घटनाक्रम ने विश्वविद्यालय परिसर में हड़कंप मचा दिया है। केजीएमयू प्रशासन का कहना है कि मामला गंभीर प्रकृति का है। विश्वविद्यालय के प्रवक्ता प्रो. केके सिंह का कहना है कि आरोपों की जांच की जा रही है। यदि जांच में दोष सिद्ध होता है तो संबंधित रेजिडेंट डॉक्टर के खिलाफ नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
फिलहाल पीड़िता के इलाज पर चिकित्सकों की निगरानी बनी हुई है, जबकि परिजन न्याय की मांग कर रहे हैं। मामले में पुलिस और संबंधित आयोगों की भूमिका भी अहम मानी जा रही है। जांच के निष्कर्ष आने के बाद ही पूरे प्रकरण की वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।






