हरेंद्र दुबे
गोरखपुर, 30 मार्च 2025:
यूपी के गोरखपुर जिले की चौरी चौरा तहसील क्षेत्र का मां तरकुलहा देवी के मंदिर चैत्र नवरात्रि में सभी नौ दिन मेले जैसा वातावरण रहता है। आसपास जिलों से हजारों लोग यहां शीश नवाने पहुंच रहे हैं। आस्था के केंद्र मां का मंदिर देश की आजादी के इतिहास से भी जुड़ा है। अनन्य भक्त बाबू बंधु सिंह रास्ते से गुजरने वाले हर अंग्रेज की बलि मां को अर्पित कर देते थे आखिरकार खौफ खाए अंग्रेजों ने उन्हें फांसी की सजा दी।

क्रांतिकारी के सम्मान में जारी हुआ था डाक टिकट, करोडों से हो रहा मंदिर का सुंदरीकरण
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन गोरखपुर मुख्यालय से 26 किलोमीटर की दूरी पर चौरी चौरा तहसील क्षेत्र में स्थित मां तरकुलहा के प्राचीन मंदिर में भक्तों की कतारें लगी हैं। वर्तमान में इस स्थान को सरकार ने शक्तिपीठ के रूप में मान्यता दे दी है। इसके विकास पर करोड़ों की धनराशि खर्च की जा रही है। मंदिर के इतिहास से जुड़े क्रांतिकारी बंधु सिंह के सम्मान में सरकार ने डाक टिकट भी जारी किया था। आज मंदिर स्थान पर शहीद स्मारक, विश्रामालय, धर्मशाला, तालाब सभी का सुंदरीकरण तेजी से हो रहा है। यहां भक्तों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है।

बंधु सिंह ने अंग्रेजों से शुरू की थी मां को बलि देने की परंपरा
तरकुलहा मंदिर में बलि प्रथा आज भी लागू है। मां के अनन्य भक्त क्रांतिकारी बाबू बंधू सिंह ने इस परंपरा की शुरुआत की थी। 1857 की क्रांति के समय वर्तमान का तरकुलहा मंदिर घने जंगलों में देवी मां के पिंडी रूप में मौजूद था। बाबू बंधु सिंह इस पिंडी रूप की पूजा अर्चना किया करते थे।

यहीं से अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों को आगे बढ़ाते थे। बताते है कि जो भी अंग्रेज सिपाही इस क्षेत्र से गुजरते बंधू सिंह उनका सिर कलम करके मां को भेंट कर देते थे। ऐसी घटनाओं से अंग्रेज काफी परेशान हो उठे थे. एक मुखबिर की सूचना पर बंधू सिंह को गिरफ्तार करने में वह कामयाब भी हो गए।
बंधु सिंह को फांसी की सजा हुई तो फंदा सात बार टूटा तब बंधु सिंह ने स्वयं मां भगवती से शरण मे लेने की प्रार्थना की तब फांसी की सजा पूरी हुई। उनके फांसी लगते ही यहां तरकुल का पेड़ टूट कर रक्त की धार बहने लगी तबसे इस मंदिर पर बलि प्रथा शुरू हुई।
एक माह तक चलता है आस्था का उत्सव, कई प्रांतों से आते है लाखों श्रद्धालु
चैत्र नवरात्रि की पहले दिन मां शैलपत्री के रूप में माता तरकुलहा की पूजा आराधना मां के भक्ति करते नजर आ रहे हैं। इस मंदिर पर पशु बलि दी जाती है चैत्र नवरात्रि में विशेष तौर से पहले दिन से ही मां के मंदिर परिसर में एक माह तक बड़ा भव्य मेला का आयोजन होता है देश के विभिन्न जगहों से इस मंदिर पर मां के दर्शन के लिए लोग आते हैं और पूजा आराधना करते हैं और अपनी मनोकामना को मां के समक्ष रखते हैं मां उनकी मनोकामना को पूरा भी करती है। पुजारी दिनेश तिवारी मां की आराधना का महत्व श्रद्धालुओं को बताते हैं।