रायबरेली,25 अक्टूबर 2024
उत्तर प्रदेश के रायबरेली जेल के कैदी आत्मनिर्भर बन कर चीनी उत्पादों को कड़ी टक्कर देने के लिए ही नही तैयार हैं बल्कि अयोध्या में होने जा रहे दीपोत्सव में भी अपना योगदान देंगे।
वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट की तर्ज पर ज़िले में 'वन जेल वन प्रोडक्ट'कार्यक्रम के तहत हुनरमंद बन रहे हैं। यहां कैदियों को हुनर सिखाकर गोबर और मिट्टी से बने दीपक तैयार करवाए जा रहे हैं, जो दीपावली के मौके पर बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे।
इस पहल के तहत 30 अक्टूबर को अयोध्या में 25 लाख दीप जलाने का रिकॉर्ड लक्ष्य पूरा करने के लिए जिला जेल के बंदियों द्वारा बनाए गए दीये भी शामिल होंगे।
रायबरेली जिला जेल में बंदियों द्वारा माटी कला से संबंधित विभिन्न उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। इनमें मिट्टी के बर्तन, कुल्हड़, मूर्तियां और दीये शामिल हैं। इन उत्पादों को बनाने के लिए कैदियों को आवश्यक सामग्री जेल प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई है।
कैदियों द्वारा निर्मित 5 रुपये से लेकर 500 रुपये तक के 60 उत्पादों की बिक्री के लिए जिला कारागार के बाहर आज से एक विक्रय केंद्र भी स्थापित किया गया। इस विक्रय केंद्र के माध्यम से इन उत्पादों की बिक्री से अर्जित धनराशि का उपयोग रॉ मैटेरियल खरीदने के साथ-साथ बंदियों के पुनर्वास और कल्याण के लिए किया जाएगा।
जेल अधीक्षक अमन कुमार सिंह ने बताया कि इस विक्रय केंद्र की स्थापना बंदी कल्याण पुनर्वास सहकारी समिति के सहयोग से की गई है। इस दुकान से प्राप्त लाभांश का उपयोग बंदियों के कल्याण के लिए किया जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जेल में लगभग 15-16 बंदी माटी कला का काम कर रहे हैं।
जेल प्रशासन ने बताया कि अयोध्या में दीयों की आपूर्ति के लिए मुख्यालय से आदेश की प्रतीक्षा की जा रही है। जैसे ही आदेश मिलेगा, दीये भेजे जाएंगे। इस समय रायबरेली जेल में गोबर और मिट्टी के बने कई तरह के दीये तैयार हो चुके हैं, जिनमें डिजाइनर दीये भी शामिल हैं। इस प्रयास से बंदियों को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त किया जा रहा है, बल्कि उन्हें समाज में पुनः स्थापित होने का अवसर भी मिल रहा है।