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आज है साल का आखिरी चंद्र दर्शन, केवल 55 मिनट में मिलेगा पुण्य और शांति का अवसर

चंद्र दर्शन सनातन परंपरा में मन की शांति, भावनात्मक संतुलन और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है, जिसे अमावस्या के बाद शुभ समय में करने से विशेष पुण्य फल मिलता है

लखनऊ, 21 दिसंबर 2025 :

ज्योतिष और सनातन परंपरा में चंद्रमा को मन, भावनाओं और मानसिक संतुलन का कारक माना गया है। माना जाता है कि कुंडली में जब चंद्रमा मजबूत और शुभ स्थिति में होता है, तो व्यक्ति न केवल मानसिक रूप से प्रसन्न रहता है, बल्कि उसके विचार भी सकारात्मक और स्थिर होते हैं।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य आत्मा और पिता का कारक माने जाते हैं, जबकि चंद्रमा मन और माता का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी वजह से हिंदू धर्म में चंद्र देवता की उपासना को मानसिक शांति, भावनात्मक संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा से जोड़ा गया है। साल भर कई ऐसे पर्व और व्रत आते हैं, जो चंद्र देवता की पूजा और दर्शन के बिना पूर्ण नहीं माने जाते।

चंद्र दर्शन का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व क्या है?

सनातन परंपरा में सूर्य दर्शन की तरह ही चंद्र दर्शन का भी विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि अमावस्या के बाद चंद्रमा के दर्शन करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, सौभाग्य और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि चंद्र दर्शन वाले दिन कई श्रद्धालु व्रत भी रखते हैं और चंद्र देवता की विधिवत पूजा करते हैं। ज्योतिष के अनुसार मजबूत चंद्रमा मन को स्थिर और विचारों को सकारात्मक बनाता है।

आज कब होंगे चंद्र देवता के दर्शन?

पंचांग के अनुसार साल के आखिरी चंद्र दर्शन आज, 21 दिसंबर 2025, रविवार को हो रहे हैं। यह दिन साल का सबसे छोटा दिन भी माना जाता है। आज चंद्र देवता के पूजन और दर्शन के लिए सायंकाल 05 बजकर 29 मिनट से 06 बजकर 24 मिनट तक का शुभ समय रहेगा। यानी साधकों को करीब 55 मिनट का समय मिलेगा, जिसमें चंद्र दर्शन कर पुण्य फल अर्जित किया जा सकता है।

चंद्र दर्शन की सही पूजा विधि क्या है?

हिंदू मान्यताओं के अनुसार अमावस्या के बाद चंद्र दर्शन करने से पहले व्यक्ति को तन और मन से शुद्ध होना चाहिए। इसके लिए स्नान कर सफेद रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। इसके बाद शुभ समय में चंद्र देवता को दूध और गंगाजल से अर्घ्य देना चाहिए। फिर धूप और दीप दिखाकर खीर का भोग लगाएं और चंद्रमा के मंत्र “ॐ सों सोमाय नम:” का कम से कम एक माला जाप करें। ऐसा करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

शिव कृपा और दोष मुक्ति का अवसर

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी मास की अमावस्या के बाद चंद्र दर्शन करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है और मन शांत रहता है। खास बात यह है कि चंद्र दर्शन वाले दिन भगवान शिव की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। माना जाता है कि इससे व्यक्ति चंद्र दोष, मानसिक तनाव और नकारात्मक प्रभावों से मुक्त होता है और जीवन में संतुलन बना रहता है।

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