प्रयागराज,21 जनवरी 2025
कुछ लोगों ने मोह-माया को त्यागकर अपने जीवन को साधना और जोग के मार्ग पर चलने का निर्णय लिया है। इन लोगों ने सांसारिक सुखों से दूर होकर आत्म-निर्भरता की ओर कदम बढ़ाए हैं, और इसका मुख्य उद्देश्य जीवन में शांति और सत्य की प्राप्ति है। ऐसे लोग अब न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी सनातन धर्म को अपनाने लगे हैं, क्योंकि वे भारतीय संस्कृति और उसकी गहरी आध्यात्मिकता से प्रभावित हुए हैं।भारत की भूमि पर जन्मे इन साधकों ने अपनी जिज्ञासा और आत्मा की तलाश में सनातन धर्म को अपनाया, जबकि विदेशों से भी लोग इस मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। यह दर्शाता है कि सनातन धर्म और उसकी शिक्षाएं केवल भारतीयों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अब पूरी दुनिया में इसके अनुयायी बढ़ रहे हैं। इन साधकों के जीवन में शांति, संतुलन और ध्यान की गहरी भावना समाहित हो गई है।