
अंशुल मौर्य
वाराणसी, 26 मई 2025:
यूपी के वाराणसी जिले में गौराकला और लखरांव गांव में तेंदुए ने 48 घंटों के भीतर तीन लोगों पर हमला कर उन्हें जख्मी कर दिया। हालांकि तेंदुए की खोजबीन जारी है और पुलिस के साथ ग्रामीण भी रात भर जागकर पहरेदारी कर रहे हैं। इस सबके बीच किसान खेत जाने से कतरा रहे हैं, और गांव की गलियां सुनसान पड़ी हैं।
तीन युवक हमलों में जख्मी हो चुके
सबसे पहले तेंदुए ने गत 23 मई की सुबह नवापुरा बस्ती में अमित मौर्य पर हमला किया था। अमित अपने खेत में फूल तोड़ने गए थे। उसी दिन, दो घंटे बाद, गौराकला गांव की कामाख्या नगर कॉलोनी में तेंदुआ फिर दिखा। दो युवक, अनिल और जयदेव, उसे मारने की कोशिश में बाग में घुसे, लेकिन तेंदुआ उन पर टूट पड़ा। दोनों घायल हो गए, जिनमें से एक की हालत गंभीर बनी हुई है। इन हमलों ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी।
सर्च ऑपरेशन में मिले पंजों के निशान
तेंदुए की खबर मिलते ही वाराणसी वन विभाग ने कमर कस ली। लखनऊ, गाजीपुर और चंदौली से रेस्क्यू टीमें बुलाई गईं। ड्रोन कैमरे, पिंजड़े, जाल और ट्रैप कैमरों के साथ सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ। वन विभाग की दो टीमें गठित की गईं—एक लखरांव गांव के पास, दूसरी गंगा किनारे। कुछ पंजों के निशान मिले, जो चंदौली की ओर इशारा करते हैं, लेकिन तेंदुआ अब तक नहीं दिखा।
शिफ्ट में गश्त कर रहे पुलिसकर्मी
DFO स्वाति श्रीवास्तव ने बताया, “24 मई की सुबह गश्त के दौरान तेंदुए के पैरों के निशान मिले, जो संकेत देते हैं कि वह इलाका छोड़ चुका है। फिर भी, हम कोई जोखिम नहीं लेना चाहते। हमारी टीमें दिन-रात गश्त कर रही हैं, और निगरानी के लिए पिंजड़े और कैमरे लगाए गए हैं। पुलिस ने भी गांव में 8-9 जवानों की तैनाती की है, जो दिन-रात दो शिफ्ट में गश्त कर रहे हैं।
गांववालों को सता रहा हमले का डर
तेंदुए की अनुपस्थिति के बावजूद गांववालों का डर कम नहीं हुआ। रमेश कुमार, जो फूलों की खेती करते हैं, बताते हैं, “तीन दिन से हम खेतों में नहीं गए। फूल तोड़ना तो दूर, घर से निकलने में भी डर लगता है। जब तक तेंदुए को कहीं और देखे जाने की खबर नहीं मिलती, यह खौफ बना रहेगा।” विकास कहते हैं, “पहली बार गांव में तेंदुआ देखा गया। उसने तीन लोगों पर हमला किया, और कोई नहीं जानता कि वह कहां गया।