मध्यप्रदेश : बौद्ध मठ या बौद्ध प्रतिमा की स्थापना पर विवाद गहराया, मंदिरों को हटाने उठी मांग

ankit vishwakarma
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जबलपुर, 3 जनवरी 2025

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट परिसर में बौद्ध मठ या बौद्ध प्रतिमा की स्थापना की मांग को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। बौद्ध अनुयायियों ने अदालत परिसर में धार्मिक स्थल बनाने की अनुमति मांगी है। वहीं, अधिवक्ता संगठन और अन्य संगठनों ने इस मांग पर सवाल उठाते हुए मौजूदा मंदिरों को भी हटाने की मांग उठाई है।  तो वही अन्य संगठनों ने सर्व धर्म मूर्ति स्थापित करने की मांग उठाई है।

दरअसल मध्यप्रदेश हाई कोर्ट परिसर में स्थापित बजरंगबली मंदिर सहित तीन मंदिरों पर अधिवक्ता संगठन ‘एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस’ ने आपत्ति जताई है। संगठन ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इन मंदिरों के विधिवत संचालन के लिए कमेटी बनाने की मांग की है।

पत्र में इन मंदिरों में चढ़ने वाले दान और चढ़ावे को लेकर चिंता व्यक्त की गई है। आरोप लगाया गया है कि चढ़ावे का उपयोग कुछ लोग निजी हितों के लिए कर रहे हैं। सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए दान की राशि का पारदर्शी और उचित उपयोग सुनिश्चित करने की मांग की गई है। अधिवक्ता संगठन ने तर्क दिया है कि अदालत परिसर में सभी धर्मों को मानने वाले लोग आते हैं। ऐसे में केवल एक धर्म के धार्मिक स्थल की उपस्थिति अन्य धर्मों के लोगों के लिए असुविधाजनक हो सकती है। इसके समाधान के लिए सभी धार्मिक स्थलों को हटाने या समान अवसर प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

गोडवाना गणतंत्र पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, आजाद समाज पार्टी, बामसेफ न्यू दिल्ली भारत, पिछड़ा समाज पार्टी, और जय आदिवासी युवा शक्ति पार्टी समेत अन्य संगठनों ने राष्ट्रपति, राज्यपाल, और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग को पत्र लिखा है। पत्र में अदालत परिसर में नए धार्मिक स्थल बनाने की अनुमति देने का मांग की गई। यदि अनुमति दी जाती है, तो मौजूदा मंदिरों को हटाने की मांग की गई है।

संगठनों का कहना है कि भारत हमारा एक धर्मनिर्पेक्ष राष्ट्र है जिसमें सभी धर्मो, पंथों एवं संप्रदायों के लोग निवास करते हैं एवं सभी को अपनी आस्था एवं विश्वास के अनुसार पूजा-पाठ एवं अपने ईष्ट की सेवा करने का समान अधिकार प्राप्त है। लेकिन यह देखा गया है कि सभी शासकीय कार्यालयों विद्यालयों एवं न्यायालयों में उनकों मानने वाले लोगों को ही उन स्थलों में पूजा-पाठ करने का अधिकार है। भारत देश की सांस्कृतिक और धार्मिक विभिन्नताओं को दृष्टिगत रखते हुए लोक परिसरों में अन्य विचारधारा एवं पंथ धार्मिक स्थलों की स्थापना कर उनके आस्था एवं भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए।

संगठन ने सुझाव दिया है कि अदालत परिसर में स्थापित सभी धार्मिक स्थलों के संचालन के लिए एक विधिसम्मत कमेटी बनाई जाए। यह कमेटी दान और चढ़ावे के उपयोग को नियंत्रित करने और धार्मिक स्थलों के प्रबंधन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का कार्य करेगी। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट परिसर में धार्मिक स्थलों को लेकर चल रहा यह विवाद न्यायपालिका और प्रशासन के सामने नई चुनौती पेश कर रहा है। सभी पक्षों की सहमति से एक संतुलित और संवैधानिक समाधान की आवश्यकता है, जिससे अदालत परिसर की पवित्रता और निष्पक्षता बनी रहे।

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