महाकुंभ नगर, 26 फरवरी 2025:
प्रयागराज के संगम घाटों पर किसी की आंखे नम थीं किसी का गला रुंध रहा था लेकिन महादेव के जयघोष और गंगा मैया की जय बोलते हुए श्रद्धालुओं में सनातन का जोश दिख रहा था। महाकुंभ का आखिरी दिन और महाशिवरात्रि का अंतिम स्नान पर्व पहले दिन लगी डुबकी में इतने शून्य लगा गया कि आयोजन संख्याओं का महाकीर्तिमान रचते हुए महोत्सव सरीखा हो गया।
गलत साबित हो गए स्नानार्थियों की संख्या के पूर्वानुमान
उम्मीद थी न किसी ने कल्पना की थी कि महाकुंभ कई देशों की आबादी अपने भीतर समा लेगा लेकिन लोगों ने देश की सरहदें पार कीं और जिले प्रांत की सीमाएं पीछे छोड़ महाकीर्तिमान रच डाला गया। 13 जनवरी को शुरू हुए आयोजन में 45 करोड़ लोगों के डुबकी लगाने का अनुमान लगाया गया था लेकिन ये अनुमान15 दिन पहले ही पूरा हो गया। श्रद्धालुओं की आमद देख फिर अनुमान लगाया गया तो 22 फरवरी को आंकड़ा 60 करोड़ पहुंच गया। अब बुधवार को समापन के दिन यही संख्या 65 फिर 66 करोड़ पार कर गई।
आमजन से लेकर उद्योगपति, नेता फिल्मी सितारे सबने लगाई डुबकी
महाकुंभ में भारत और अन्य देशों से सनातनी करोड़ो की संख्या में पहुंचे। वहीं कई देशों से बौद्ध धर्म के संत व लामा और अनुयायी भी शामिल हुए। वहीं 73 देशों के राजनयिकों के साथ भूटान नरेश यहां अमृत स्नान करने पहुंचे। नेपाल इटली, फ्रांस, यूके, पुर्तगाल, अमेरिका, इजराइल, ईरान, मॉरीसस समेत दुनिया के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां पहुंचे। वहीं देश और दुनिया के बड़े उद्योगपतियों के साथ विभिन्न क्षेत्रों की नामचीन हस्तियों के साथ फिल्मी सितारों का जमघट लगा रहा।

सुरक्षित वापसी पर भी रहा फोकस
एक करोड़ से अधिक लोगों द्वारा संगम घाट पर पवित्र स्नान किया गया। यहां स्नान ध्यान पूजा अर्चना के बाद एक दूसरे से बिछड़े बिना उनकी सुरक्षित वापसी के लिए मंगलवार रात से ही मेला क्षेत्र में बड़े बड़े वैरिएबल मैसेजिंग डिस्प्ले (वीएमडी) पर जरूरी संदेश प्रसारित किए जाने लगे। बैरिकेड पर ध्यान दिया जा रहा था कि कोई अफरातफरी न फैले। हर जिज्ञासा को शांत किया जा रहा था। 550 शटल बसें लगातार श्रद्धालुओं को अस्थायी बस अड्डों से संगम घाट ला रहीं थीं फिर उन्हें वापस ले जा रहीं थीं।
सीएम बोले-इतिहास में अविस्मरणीय रहेगा आयोजन
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज 26 फरवरी महाशिवरात्रि की तिथि तक 45 दिनों में 66 करोड़ 21 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पावन त्रिवेणी में स्नान का पुण्य लाभ प्राप्त किया। विश्व इतिहास में यह अभूतपूर्व व अविस्मरणीय है।अखाड़ों, साधु-संतों, महामंडलेश्वरों एवं धर्माचार्यों के पुण्य आशीर्वाद का ही प्रतिफल है कि समरसता का यह महासमागम दिव्य और भव्य बनकर सकल विश्व को एकता का संदेश दे रहा है।