महाकुंभ नगर, 15 जनवरी 2025:
महाकुंभ में ब्रह्मचारियों के अखाड़े श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़ा में बुधवार को दीक्षा समारोह शुरू हो गया। इस अखाड़े में आदि गुरु शंकराचार्य की परंपरा से चतुर्नाम के ब्रह्मचारी रहते हैं। इस अखाड़े में प्रकाश, स्वरूप, चैतन्य और आनंद, जो एक-एक शंकराचार्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस अखाड़े में चारों वेदों का अध्ययन किया जाता है,

दीक्षा से पहले समझनी होती है अखाड़ा व सनातन धर्म की परंपरा
श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़ा के महामंडलेश्वर संपूर्णानंद महाराज ने बताया कि इस अखाड़े में लाखों ब्रह्मचारी हैं। जो ब्रह्मचारी की दीक्षा लेने के लिए आते हैं, वे पहले अखाड़े की और सनातन धर्म की परंपराओं को समझते हैं। जब अखाड़े के पंचों को लगता है कि वह ब्रह्मचारी बनने के लिए परिपक्व है तो उसे ब्रह्मचारी के रूप में दीक्षित किया जाता है।
ब्रह्मचारियों ने प्राप्त कीं सामाजिक उपाधियां
संपूर्णानंद महाराज के अनुसार धर्म का पालन करने वाल ब्रह्मचारी है। सनातन धर्म की व्याख्या और प्रचार करने वाले को ब्रह्मचारी बनाया जाता है। गृहस्थ से दूर रहने वाले यहां आते हैं। यहां दीक्षित हुए बहुत सारे ब्रह्मचारियों ने सामाजिक उपाधियां प्राप्त कीं। ब्रह्मचारियों को योग्यता के अनुसार सभापति, महामंत्री, सचिव, श्रीमहंत, महंत, थानापति, कोतवाल और पुजारी पदों पर नियुक्त किया जाता है।