Uttar Pradesh

महाकुंभ 2025: 20 किलो की चाबी लेकर चलते हैं साथ ‘कबीरा बाबा चाभी वाले

अमित मिश्रा

महाकुम्भ नगर, 29 दिसंबर 2024

त्रिवेणी के तट पर बसे महाकुम्भ नगर इस समय साधु संत और बाबाओं से भरा पूरा है। इनमें कुछ बाबा ऐसे भी हैं जो अपने अनोखे अंदाज से लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

इन्हीं में से एक हैं ‘चाभी वाले बाबा’, जो अपने एक हाथ में 20 किलो की लोहे की चाभी लेकर घूम रहे हैं। इस भारी-भरकम चाबी की कहानी भी बड़ी ही रहस्यमयी है। यही कारण है कि लोग इन्हें रहस्यमई चाभी वाले बाबा के नाम से जानते हैं।

चाभी वाले बाबा की खासियत ये है कि यह पूरे देश में पैदल ही यात्राएं करते रहते हैं और नए युग की कल्पना को लोगों तक पहुंचा रहे हैं। चाभी वाले बाबा का असली नाम हरिश्चंद्र विश्वकर्मा (50) है। वो उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले हैं।

कहते हैं कि हरिश्चंद्र विश्वकर्मा का बचपन से ही आध्यात्म की ओर झुकाव हो गया था। हालांकि घरवालों के डर से वो कुछ बोल नहीं पाते थे, लेकिन आखिरकार जब वो 16 साल के हुए तो उन्होंने समाज में फैली बुराइयों और नफरत से लड़ने का फैसला कर लिया और घर से निकल गए। चूंकि हरिश्चंद्र विश्वकर्मा कबीरपंथी विचारधारा के थे, इसलिए लोग उन्हें कबीरा बाबा बुलाने लगे।

कबीरा बाबा कई साल से अपने साथ एक चाभी लिए हुए हैं। उस चाभी के साथ ही उन्होंने पूरे देश की पदयात्रा कर ली है। अपनी यात्रा और आध्यात्म के बारे में कबीरा बाबा बताते हैं कि उन्होंने सत्य की खोज की है। लोगों के मन में बसे अहंकार का ताला वह अपनी बड़ी सी चाबी से खोलते हैं। वह लोगों के अहंकार को चूर-चूर कर उन्हें एक नया रास्ता दिखाते हैं। अब बाबा के पास कई तरह की चाभियां मौजूद है और तरह तरह की चाभी लेकर चलते है ।

चाभी वाले बाबा ने अपनी यह यात्रा साइकिल से शुरू की थी और अब बाबा के पास एक रथ बन चुका है हालांकि इस रथ में ना किसी प्रकार का कोई इंजन लगा है ना किसी प्रकार की कोई घोड़े लगे हैं। बाबा के जो मजबूत बाजू है उसके ही द्वारा इसको खींचा जाता है और बाबा ने अपने ही जुगाड़ से इसकी एक हैंडल बना रखी है जिसको बाबा जब चाहे रात को दिशा दे देते हैं।बाबा इस दौरान किसी की मदद लेना पसंद नहीं करते हैं। बाबा ने हजारों किलोमीटर और कई जगह की यात्रा कर लिया है अब कुंभ नगरी में बाबा आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं और लोग इनको देख रहे हैं

चाभी वाले बाबा स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श मनाते हैं। उनका कहना है कि आध्यात्म की ओर पूरी दुनिया भाग तो रही है, लेकिन आध्यात्म कहीं बाहर नहीं है बल्कि वो इंसान के अंदर ही बसा है। उन्होंने अपनी चाबी के बारे में बताते हुए कहा कि इस चाभी में आध्यात्म और जीवन का राज छिपा है, जिसे वह लोगों को बताना चाहते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button