मुंबई, 3 मार्च 2025
महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ने राज्य विधानसभा के बजट सत्र से पहले पार्टी में दरार की अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया है । मीडिया के सामने आए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “सत्तारूढ़ सहयोगियों के बीच कोई शीत युद्ध नहीं है। मैं और एकनाथ शिंदे दोनों जानते हैं कि जब हम साथ होते हैं तो हमें क्या करना चाहिए… हमने विपक्ष का सफलतापूर्वक मुकाबला किया है और विधानसभा में शानदार जीत हासिल की है।” यह प्रेस कॉन्फ्रेंस कैबिनेट बैठक और पारंपरिक चाय बैठक के बाद हुई जिसका विपक्षी महा विकास अघाड़ी ने बहिष्कार किया था। उन्होंने कहा, “विपक्ष की स्थिति हमारी तरह नहीं है – हम एक साथ हैं… विपक्ष में ही तनाव और असंतोष है।”
फडणवीस ने कहा, “आज हमने विपक्ष को ‘चहापन’ (बजट सत्र से पहले नाश्ता बैठक) के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन उन्होंने इसका बहिष्कार किया। उन्होंने एक बैठक की, जिसमें उनके कोई भी बड़े नेता नहीं आए। उन्होंने हमें 9 पन्नों का एक पत्र दिया है, जिसमें नौ लोगों के नाम हैं, सात लोगों के हस्ताक्षर हैं और उस पत्र में उन्होंने ऐसे मुद्दे उठाए हैं, जो उन्होंने केवल प्रेस से लिए हैं।”
सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर दरार की खबरें पिछले हफ्तों में सुर्खियों में रहीं, जिससे संकेत मिलता है कि एकनाथ शिंदे , जिन्हें देवेंद्र फड़नवीस के लिए रास्ता बनाने के लिए शीर्ष पद से हटना पड़ा था, अभी भी परेशान हैं। उनकी पार्टी के कई नेताओं की सुरक्षा में कटौती तथा रायगढ़ और नासिक जिलों के लिए ‘संरक्षक मंत्रियों’ की नियुक्ति, जहां अगला कुंभ मेला आयोजित होगा, ने टकराव को फिर से बढ़ा दिया है।
सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि श्री शिंदे के शिवसेना गुट के 55 विधायकों की सुरक्षा कम कर दी गई है – जिन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है। सरकार ने सुरक्षा खतरे के पुनर्मूल्यांकन के परिणामस्वरूप ऐसा होने की बात कही थी, लेकिन जाहिर तौर पर इससे शिवसेना प्रमुख संतुष्ट नहीं हुए।
हालांकि सत्तारूढ़ गठबंधन ने बार-बार किसी भी दरार से इनकार किया है, लेकिन इससे विपक्षी एमवीए खेमे में खुशी की लहर है, जिसे पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था।
इसके बाद महायुति में कुछ गड़बड़ियाँ हुईं। मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा में दो सप्ताह से ज़्यादा का समय लग गया, इसके आखिरी दिनों में ऐसी खबरें आईं कि भाजपा को श्री शिंदे को श्री फडणवीस को अगले मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार करने में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जो कि अजीत पवार के भाजपा को समर्थन देने के फ़ैसले के बाद तय था।