
कोलकाता, 25 जून 2025:
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासी मजदूरों के साथ हो रहे कथित भेदभाव पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में काम कर रहे करीब 22 लाख बंगाली मजदूरों की सुरक्षा खतरे में है, क्योंकि उन्हें गलत तरीके से बांग्लादेशी बताया जा रहा है।
ममता बनर्जी का दावा है कि राजस्थान के खैरथल-तिजारा इलाके में 300 से 400 बंगाली भाषी मजदूरों को एक इमारत में बंद कर दिया गया, जबकि उनके पास सभी वैध दस्तावेज मौजूद थे। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या केवल बंगाली भाषा बोलना अपराध हो गया है? ममता ने कहा कि वह इस मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संज्ञान में भी लाएंगी।
सीएम ने बताया कि दिल्ली के पास भिवाड़ी और मध्य प्रदेश से भी ऐसे ही मामले सामने आए हैं। उन्होंने पूछा कि क्या तमिल बोलने वालों को श्रीलंका भेज दिया जाएगा या गोरखा समुदाय के भारतीयों को नेपाली बोलने पर नेपाल भेजा जाएगा? ममता ने कहा कि भाषा के आधार पर भेदभाव संविधान के मूल भावनाओं के खिलाफ है।
उन्होंने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि उनके शासित राज्यों में अल्पसंख्यकों और दलितों पर हो रहे हमलों पर केंद्र सरकार चुप्पी साधे रहती है, लेकिन बंगाल में किसी भी छोटी घटना पर तुरंत केंद्रीय टीम भेज दी जाती है।
टीएमसी की ओर से सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया गया। पार्टी ने लिखा कि बंगाली मजदूरों के साथ सिर्फ उनकी मातृभाषा के कारण बांग्लादेशी जैसा व्यवहार किया जा रहा है, जो शर्मनाक है। मुख्यमंत्री ने राज्य के मुख्य सचिव को इन मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनकी रिहाई के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया है।
इस विवाद ने देशभर में क्षेत्रीय भाषाओं और प्रवासी श्रमिकों की पहचान को लेकर बहस को फिर से गरमा दिया है।






