
नई दिल्ली, 15 मई 2025
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए भाजपा नेता और राज्य मंत्री कुंवर विजय शाह के खिलाफ बुधवार को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। स्वत मामले में संज्ञान लेते हुए अदालत ने उनकी टिप्पणियों को “कैंसरकारी और खतरनाक” बताया।
बता दे कि भाजपा मंत्री मंगलवार को महू जिले में एक कार्यक्रम में बोलते हुए कर्नल कुरैशी को कथित तौर पर “आतंकवादियों की बहन” कहा। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने “भारत की बेटियों को विधवा किया” उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “उनकी समाज की बहन के ज़रिए” सबक सिखाया। उन्होंने इस बयान को तीन बार दोहराया। जिसपर बाद में कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि यह कर्नल कुरैशी का सीधा संदर्भ था, जो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों के प्रवक्ताओं में से एक थे।
न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने इस मामले में कहा कि शाह की टिप्पणी प्रथम दृष्टया “अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को बढ़ावा देती है” और भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता के लिए खतरा पैदा करती है। न्यायालय ने गंभीर चिंता व्यक्त की। पीठ ने कहा, “सशस्त्र बल शायद इस देश में मौजूद आखिरी संस्थागत गढ़ हैं जो ईमानदारी, उद्योग, त्याग, निस्वार्थता और असीमित साहस को दर्शाते हैं, जिससे इस देश का कोई भी नागरिक जुड़ सकता है। और श्री विजय शाह ने इसी को निशाना बनाया है।”
अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि कर्नल कुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ मिलकर पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान मीडिया के सामने सेना का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
न्यायमूर्ति श्रीधरन ने आगे कहा, “मंत्री ने कर्नल कुरैशी के खिलाफ अनुचित बयान दिया, लेकिन यह किसी और के लिए नहीं बल्कि केवल उनके लिए ही हो सकता है, क्योंकि मंत्री की टिप्पणी के लिए कोई और उपयुक्त नहीं है।” अदालत ने रेखांकित किया कि सार्वजनिक कार्यक्रम में शाह के बयान में स्पष्ट रूप से कर्नल कुरैशी को 22 अप्रैल के पहलगाम हमले में शामिल एक आतंकवादी की बहन बताया गया था, जिसमें 26 निर्दोष भारतीय मारे गए थे। मीडिया और डिजिटल साक्ष्यों का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि शाह के भाषण में स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री मोदी को यह श्रेय दिया गया था कि उन्होंने “आतंकवादी की बहन को उन्हें निपटाने के लिए भेजा था”।
टिप्पणी के सांप्रदायिक निहितार्थ को उजागर करते हुए न्यायमूर्ति श्रीधरन ने कहा कि कर्नल कुरैशी मुस्लिम धर्म की अनुयायी हैं और उन्हें “आतंकवादियों की बहन” के रूप में लेबल करके शाह के बयान में “यह भावना पैदा करने की प्रवृत्ति थी कि भारत के प्रति निस्वार्थता और सेवा के बावजूद, किसी व्यक्ति का धर्म के आधार पर अभी भी उपहास किया जा सकता है”। अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि मंत्री की टिप्पणी से प्रथम दृष्टया मुस्लिम धर्मावलंबियों एवं अन्य लोगों के बीच वैमनस्य एवं शत्रुता भड़काने की संभावना है।






