सुमित अंतिल ने पैरालंपिक में जीता गोल्ड

Shubham Singh
Shubham Singh

पेरिस , 3 सितंबर

सुमित अंतिल. भारत के पैरा जैवलिन थ्रोअर. सुमित ने पेरिस पैरालंपिक्स में वो कर दिखाया, जो आज से पहले कोई जैवलिन थ्रोअर नहीं कर पाया था. सुमित ने पेरिस में गेम रिकॉर्ड बनाते हुए पैरालंपिक्स जैवलिन गोल्ड डिफेंड किया. इन्होंने टोक्यो में यही मेडल जीता था.

सुमित ने पेरिस में कमाल का प्रदर्शन किया. इन्होंने पहला थ्रो ही 69.11 मीटर्स का फेंका. और दूसरे थ्रो में सुमित ने 70 मीटर का बैरियर पार करते हुए पैरालंपिक्स रिकॉर्ड बना दिया. इनका ये थ्रो 70.59 मीटर दूर जाकर गिरा. कोई भी थ्रोअर इससे ज्यादा दूरी तक भाला नहीं फेंक पाया.

सुमित का तीसरा थ्रो 66.66 मीटर तक गया. इनका चौथा थ्रो फ़ाउल हो गया, जबकि पांचवें और छठे प्रयास में सुमित ने 69.04 और 66.57 मीटर की दूरी तय की. इस इवेंट में कोई भी दूसरा थ्रोअर 70 मीटर के क़रीब भी नहीं पहुंच पाया. श्रीलंका के दुलन कोडितुवाक्कु ने 67.03 मीटर के साथ सिल्वर, जबकि ऑस्ट्रेलिया के मिचल ब्यूरियन ने 64.89 मीटर के साथ ब्रॉन्ज़ मेडल जीता.

पेरिस में 26 साल के सुमित ने अपना ही पैरालंपिक्स रिकॉर्ड तोड़ा. इनका पिछला रिकॉर्ड 68.55 मीटर का था. सुमित ने टोक्यो में ये रिकॉर्ड बनाते हुए गोल्ड मेडल जीता था. इस इवेंट का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी सुमित के ही नाम है. इन्होंने 73.29 मीटर का थ्रो फेंक रखा है. पेरिस में सुमित के दबदबे का आलम ये था कि ओवरऑल थ्रोअर्स में पहले तीन स्थानों पर इन्हीं के थ्रो थे. और ये तीनों ही थ्रो सुमित के पिछले पैरालंपिक्स रिकॉर्ड से बेहतर थे.

यानी पेरिस में कोई भी दूसरा थ्रोअर इन्हें चुनौती नहीं दे पाया. अपना गोल्ड डिफेंड करते ही सुमित ऐसा करने वाले सिर्फ़ दूसरे भारतीय एथलीट बन गए. इन्होंने शूटर अवनी लेखरा की बराबरी की. बता दें कि इन दोनों के अलावा कोई भी भारतीय एथलीट ओलंपिक्स या पैरालंपिक्स में अपना गोल्ड नहीं डिफेंड कर पाया है.

बात सुमित की करें तो वह F64 कैटेगरी में खेलते हैं. इस कैटेगरी में वो एथलीट्स आते हैं जिनके शरीर के निचले हिस्से में परेशानी हो. इसमें प्रोस्थेटिक के साथ खेलने वाले एथलीट्स के अलावा वो एथलीट भी शामिल होते हैं, जिनते दोनों पैरों की लंबाई में अंतर हो.

सुमित के गोल्ड के साथ ही पेरिस पैरालंपिक्स में भारत के कुल मेडल्स की संख्या पंद्रह हो गई है. इसमें तीन गोल्ड, पांच सिल्वर और सात ब्रॉन्ज़ मेडल हैं.

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