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नीतीश के गांव में प्रशांत किशोर को नहीं मिला प्रवेश, बोले – क्या? अब गांव जाने के लिए भी अनुमति जरूरी

बिहारशरीफ, 19 मई 2025

बिहार में हाल ही में हुए राहुल गांधी के बिना अनुमति वाले दौरे के बाद राज्य में फिर से एक बिना अनुमति वाले दौरे को लेकर के बवाल मच गया है। बीते रविवार को जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर को प्रशासन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पैतृक गांव कल्याण बिगहा में प्रवेश से रोक दिया। जिसके बाद बिहार में राजनीतिक घमासान मच गया। बता दे कि प्रशांत नालंदा जिले के अपने दौरे में स्थानीय लोगों से बातचीत कर अपनी पार्टी का हस्ताक्षर अभियान की वहां से शुरू करना चाह रहे थे। जिसे जिला प्रशासन और सुरक्षाकर्मियों ने गांव में घुसने से रोक दिया। फिलहाल इस पूरे घटनाक्रम में अधिकारियों का कहना है कि जन सुराज पार्टी ने कल्याण बिगहा में ऐसी कोई भी सभा आयोजित करने के लिए पहले से कोई भी अनुमति नहीं ली थी।

नालंदा के जिला मजिस्ट्रेट शशांक शुभंकर ने पीटीआई-भाषा को बताया, “जन सुराज पार्टी ने 18 मई को बिहारशरीफ (नालंदा जिला मुख्यालय) में एक सार्वजनिक बैठक आयोजित करने की अनुमति मांगी थी…जिला प्रशासन ने उन्हें अनुमति दे दी थी। लेकिन पार्टी ने कल्याण बिगहा में ऐसे किसी भी कार्यक्रम के लिए अनुमति नहीं मांगी थी… जिसके चलते प्रशांत किशोर को गांव में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई।”

डीएम ने कहा, “किसी विशेष स्थान पर जनसभा आयोजित करने के लिए पुलिस सहित जिला प्रशासन द्वारा काफी तैयारियां की जाती हैं। जिसके लिए ऐसी सभाओं के लिए पहले से अनुमति अनिवार्य है। चूंकि उन्हें 18 मई को केवल बिहारशरीफ में जनसभा आयोजित करने की अनुमति दी गई थी,… इसलिए उन्हें बिहारशरीफ में उसी स्थान पर जाने के लिए कहा गया, जिसके लिए अनुमति दी गई थी।”

वही प्रशासन व्दारा रोके जाने पर मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि वह स्थानीय लोगों से बातचीत करना चाहते थे लेकिन उन्हें रोक दिया गया। उन्होंने कहा, “मैं मुख्यमंत्री के पैतृक गांव कल्याण बिगहा में स्थिति देखने के लिए स्थानीय लोगों से बातचीत करना चाहता था। लेकिन मुझे इसकी अनुमति नहीं दी जा रही है। यह नीतीश कुमार की सरकार है। इससे पहले उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दरभंगा में छात्रों के साथ बातचीत कार्यक्रम आयोजित करने से रोका था। अब वे मेरे साथ ऐसा कर रहे हैं।”

जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बहस में दौरान किशोर ने कहा कि “क्या आप मुझे गांव में प्रवेश करने से रोकेंगे? क्या मुझे गांव में जाने के लिए अनुमति की आवश्यकता है? मैं चाहता हूं कि आप इसे लिखित में दें, और फिर मैं वापस आ जाऊंगा। हम कानून का पालन करने वाले लोग हैं…”

इस पूरे घटनाक्रम के बाद में प्रशांत किशोर बिहारशरीफ गए और वहां सभा को संबोधित किया और हस्ताक्षर अभियान की भी शुरुआत की। पार्टी ने हस्ताक्षर अभियान चलाकर सरकार के “अधूरे” वादों पर जवाब मांगा।

बता दे जन सुराज पार्टी व्दारा चलाए जा रहे इस हस्ताक्षर अभियान तीन बिंदुओं पर केंद्रित होगा जिसमें पहला – 94 लाख गरीब परिवारों को 2-2 लाख रुपये देने के नीतीश सरकार के वादे का क्या हुआ, दूसरा- महादलित परिवारों को 3 डिसमिल जमीन और वहीं 3- चल रहे भूमि सर्वेक्षण में भ्रष्टाचार।

इस अभियान के तहत जन सुराज पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल 11 जुलाई तक राज्य के 40,000 गांवों में एक करोड़ लोगों से हस्ताक्षर करवाएगा। यदि सरकार एक महीने के भीतर जाति सर्वेक्षण में पहचाने गए 94 लाख गरीब परिवारों में से प्रत्येक को 2 लाख रुपये देने और भूमिहीनों को भूमि उपलब्ध कराने की स्थिति का खुलासा करने में “विफल” रही तो हस्ताक्षर राज्यपाल और मुख्यमंत्री को सौंप दिए जाएंगे।

 

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