
नई दिल्ली,11 मार्च 2025
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई अपराध भारतीय दंड संहिता (IPC) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) दोनों के तहत आता है, तो सजा उस कानून के अनुसार दी जाएगी, जिसमें अधिक कठोर दंड का प्रावधान है। अदालत ने एक मामले में आरोपी की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखते हुए कहा कि IPC की धारा के तहत यदि कठोर सजा का प्रावधान है, तो वही सजा दी जाएगी, भले ही मामला पॉक्सो ऐक्ट के तहत भी दर्ज हो।
यह मामला उत्तर प्रदेश के फतेहपुर का है, जहां एक व्यक्ति को अपनी नाबालिग बेटी से रेप का दोषी पाया गया था। निचली अदालत और इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा। आरोपी की ओर से दलील दी गई थी कि पॉक्सो ऐक्ट एक विशेष कानून है और इसे IPC से वरीयता मिलनी चाहिए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में पॉक्सो ऐक्ट की धारा-42 का हवाला देते हुए कहा कि जब कोई अपराध दोनों कानूनों के तहत आता है, तो दोषी को उसी कानून के तहत सजा दी जाएगी, जिसमें अधिक कठोर दंड का प्रावधान है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस मामले में IPC की धारा 376 के तहत उम्रकैद की सजा उचित है और इसे ही लागू किया जाएगा।