
जयपुर, 28 अप्रैल 2025
राजस्थान में सत्तारूढ़ भाजपा ने रविवार को एक बड़ी कार्यवाही के अन्तर्गत अपने पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया, बता दे कि हाल ही में पूर्व विधायक मंदिर “शुद्धिकरण” विवाद के बाद केंद्र में आ गए थे। मामले में पार्टी के एक आदेश में कहा गया है कि भाजपा की अनुशासन समिति की जांच के बाद आहूजा के खिलाफ यह कड़ी कार्रवाई की गई है। साथ ही इसमें यह भी कहा गया है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौर ने अनुशासनहीनता के लिए आहूजा की पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समाप्त करने के आदेश दिए हैं।
जानकारी के लिए आपको बता दे कि इस महीने की शुरुआत में आहूजा ने अलवर में राम मंदिर में गंगाजल छिड़ककर उसे “शुद्ध” किया था जिसके बाद राजनीतिक और समाजिक विवाद खड़ा हो गया था । इससे पहले कांग्रेस नेता टीकाराम जूली वहां एक प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हुए थे। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आहूजा के इस कृत्य को दलित का “अपमान” करार दिया था। इससे पहले रविवार को श्री आहूजा अपना पक्ष रखने के लिए भाजपा की अनुशासन समिति के समक्ष उपस्थित हुए।
बाद में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, ”मैंने दलित विरोधी कोई काम नहीं किया है।” उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के दुष्प्रचार में फंसकर भाजपा ने उन्हें पार्टी से निकाल कर गलती की है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं पर मानहानि का आरोप लगाया और कहा कि वह इस संबंध में मामला दर्ज कराएंगे।
मंदिर के “शुद्धिकरण” कार्यक्रम के बाद श्री आहूजा ने कहा था कि कांग्रेस नेताओं को ऐसे समारोहों में शामिल होने का “कोई नैतिक अधिकार नहीं” है, क्योंकि पार्टी नेतृत्व ने भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया था और पिछले साल अयोध्या में अभिषेक समारोह का “बहिष्कार” किया था। उन्होंने दावा किया कि उनके कृत्य में कोई “दलित” पहलू नहीं था।
अलवर की एक आवासीय सोसायटी में राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह लगभग 20 दिन पहले रामनवमी के अवसर पर आयोजित किया गया था और राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता टीकाराम जूली भी इसमें शामिल हुए थे। आहूजा ने कहा कि उन्होंने यह कदम कांग्रेस नेताओं के भगवान राम के प्रति दृष्टिकोण के कारण उठाया है, न कि जूली के दलित होने के कारण। जूली ने पहले कहा था कि यह (आहूजा का कृत्य) दलितों के प्रति भाजपा की मानसिकता का संकेत है। मामले में पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने भी कहा था कि यह घटना समाज में दलितों के प्रति भाजपा पार्टी की “संकीर्ण मानसिकता” को दर्शाती है और समाज को तोड़ने का काम करती है।






