सुलतानपुर, 30 अक्टूबर 2024:
प्रख्यात कथाकार तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने विजेथुआ महोत्सव में आयोजित रामकथा के समापन के अवसर पर कहा कि हनुमान का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को मंगलवार के दिन मेष लग्न में सायंकाल हुआ था।
उन्होंने बताया कि सनातन धर्म का सबसे विशाल ग्रंथ वेद और सबसे छोटा ग्रंथ हनुमान चालीसा है, और हनुमान जयंती को लेकर कई भ्रामक कथाएँ प्रचारित की गई हैं।

रामभद्राचार्य ने कहा कि विजेथुआ के हनुमान अब जागृत हो गए हैं और उन्हें परेशान न किया जाए। पूजा के लिए नियम बनाए जाने की आवश्यकता है।
हनुमान के गर्भगृह में केवल पुजारी को ही प्रवेश करने की अनुमति है, पुरुषों या महिलाओं को नहीं। अगर कोई दिक्कत हो, तो चित्रकूट की तुलसीपीठ यहां पूरे व्यवस्था की जिम्मेदारी लेने को तैयार है।
हनुमान जन्म की कथा सुनाते हुए रामभद्राचार्य ने बताया कि जब रावण के अत्याचार से धरती परेशान हो गई, तब भगवान विष्णु ने राम के रूप में अवतार लेने का निश्चय किया।
इस दौरान ब्रह्मा ने तमाम देवताओं से विभिन्न रुपों में धरती पर जन्म लेने को कहा। शंकर ने पार्वती से कहा कि अब वह वानर के रूप में अवतरित होंगे।

रामभद्राचार्य ने यह भी बताया कि जब इन्द्र ने हनुमान पर वज्र से प्रहार किया था, तब उनके हनु से इन्द्र का वज्र टूट गया, और इसी कारण इन्द्र ने उनका नाम हनुमान रखा।
उन्होंने हनुमान द्वारा संजीवनी बूटी लाने की कथा भी सुनाई, जिसमें हनुमान की प्यास का कारण धन्य मालिनी नामक अप्सरा का उद्धार कराना था।
मुख्य यजमान विवेक तिवारी ने सपत्नीक चरण पूजन कर कथा की शुरुआत की, जिसका संचालन श्याम चंद्र श्रीवास्तव ने किया।
इस अवसर पर भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. आर ए वर्मा, सुशील त्रिपाठी, हरिश्चंद्र श्रीवास्तव, डॉ. सुशील कुमार पाण्डेय साहित्येन्दु, डॉ. इन्दु शेखर उपाध्याय, ओमप्रकाश पाण्डेय बजरंगी आदि उपस्थित रहे।