लखनऊ, 5 मार्च 2025
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के प्रमुख रामदास अठावले ने बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद को अपनी पार्टी में जगह देने की पेशकश की है, जिसे उनकी चाची ने बसपा से निष्कासित कर दिया है। उन्होंने कहा, “अगर वह (आकाश आनंद) बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के मिशन को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो उन्हें रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया में शामिल होना चाहिए… अगर वह (आकाश आनंद) पार्टी में शामिल होते हैं तो रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया को यूपी में और मजबूती मिलेगी।”
सोमवार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से निष्कासित करते हुए कहा कि पदमुक्त होने के बाद आकाश द्वारा दी गई प्रतिक्रिया “स्वार्थी और अहंकारी” थी।
मायावती ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, “परम पूज्य बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर के स्वाभिमान व स्वाभिमान के आंदोलन के हित में तथा पूज्य कांशीराम की अनुशासन परम्परा का पालन करते हुए, आकाश आनन्द को उनके ससुर की तरह पार्टी व आंदोलन के हित में पार्टी से निष्कासित किया जाता है।”
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि आनंद को पद से हटाए जाने के बाद उनके द्वारा की गई टिप्पणी “राजनीतिक परिपक्वता का संकेत नहीं है”। उन्होंने आनंद पर अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ के प्रभाव में होने का आरोप लगाया।
बसपा सुप्रीमो ने कहा, “आकाश द्वारा दिया गया लंबा जवाब पश्चाताप और राजनीतिक परिपक्वता का संकेत नहीं है, बल्कि यह अधिकतर स्वार्थी और अहंकारी है…अपने ससुर के प्रभाव में, जिससे बचने की मैं पार्टी के लोगों को सलाह देती रही हूं।”
मायावती ने कहा कि आकाश आनंद से यह अपेक्षा की जाती है कि वे बसपा में प्रमुख पदों से हटाए जाने के फैसले को “परिपक्वता” से स्वीकार करेंगे। उन्होंने कहा, “कल बीएसपी की अखिल भारतीय बैठक में आकाश आनंद को राष्ट्रीय समन्वयक पद सहित सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया, क्योंकि वह अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ, जिन्हें पार्टी से भी निष्कासित कर दिया गया था, के लगातार प्रभाव में थे। इसके लिए उन्हें पश्चाताप करना चाहिए था और परिपक्वता दिखानी चाहिए थी।”
सभी प्रमुख पदों से हटाए जाने के एक दिन बाद आनंद ने सोमवार को कहा कि वे अडिग हैं और बहुजन आंदोलन के आदर्शों से उन्हें ताकत मिलती है। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष कोई करियर नहीं बल्कि हाशिए पर पड़े समुदायों के आत्मसम्मान और स्वाभिमान की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि वह पार्टी के प्रति पूरी तरह समर्पित रहेंगे और बहुजन आंदोलन के सच्चे कार्यकर्ता के रूप में समाज के अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे। उन्होंने इस फैसले को भावनात्मक भी बताया और कहा कि यह “कठिन परीक्षा है।”