
नई दिल्ली,7 अप्रैल 2025
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि विदेश से लौटे भारतीय कामगारों के पुनर्वास की जिम्मेदारी उन राज्यों की है, जहां से वे आते हैं। यह बयान विदेश मामलों की संसदीय समिति के उस सवाल के जवाब में आया है जिसमें देश वापसी करने वाले कामगारों को फिर से आर्थिक मुख्यधारा में शामिल करने को लेकर केंद्र की नीति पूछी गई थी। समिति को दिए जवाब में कहा गया कि यह एक बहुस्तरीय मसला है जो कई मंत्रालयों से जुड़ा है। स्किल डिवलपमेंट एंड एंटरप्राइज मंत्रालय प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, जन शिक्षण संस्थान और इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट जैसी योजनाएं संचालित कर रहा है, जो लौटे युवाओं समेत अन्य के लिए उपलब्ध हैं।
हालांकि, जब समिति ने पूछा कि देशभर में लौटे प्रवासी कामगारों के लिए कोई राष्ट्रीय स्तर की योजना क्यों नहीं है, तो मंत्रालय ने कहा कि यह जिम्मेदारी राज्यों की है। मंत्रालय के अनुसार, कई राज्य सरकारों ने अपने स्तर पर इस दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। उदाहरण के तौर पर केरल सरकार ने 1996 में NORKA (Non-Resident Keralites Affairs) नामक एक विशेष विभाग की स्थापना की थी, जो बाहर से लौटे लोगों के लिए नीति निर्माण और पुनर्वास से जुड़ा कार्य करता है। समिति का कहना है कि NORKA की नीति की तुलना फिलीपींस और श्रीलंका जैसे देशों की माइग्रेशन नीतियों से की जा सकती है।
इसके अलावा, विदेशों में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों से जुड़े आंकड़ों पर भी समिति ने सवाल उठाया। 1 जनवरी 2024 के आंकड़ों के मुताबिक, 17,79,097 भारतीय छात्र विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं। मंत्रालय ने यह भी स्वीकार किया कि उसके पास विदेशों की जेलों में बंद छात्रों का कोई अलग डेटा नहीं है। यह मुद्दा तब उठा जब हाल ही में एक भारतीय छात्र बदर सूरी खान को हमास से कथित संबंधों के चलते गिरफ्तार किया गया। विदेश मंत्रालय ने बताया कि छात्र ने अमेरिकी मिशन से संपर्क नहीं किया था।