
पुणे, 24 जनवरी 2025:
हाल ही में पुणे में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में अचानक वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे स्थानीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ और निवासियों में चिंता बढ़ गई है। यह दुर्लभ लेकिन गंभीर ऑटोइम्यून विकार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा परिधीय तंत्रिका तंत्र पर हमला करने के कारण होता है, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नता और गंभीर मामलों में पक्षाघात हो सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकोप के पीछे वायरल संक्रमण, पर्यावरणीय कारक, या संक्रमणों के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली की अत्यधिक प्रतिक्रिया हो सकती है। डेंगू, फ्लू और कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी संक्रमण जैसे संभावित कारणों की जांच की जा रही है।
GBS के शुरुआती लक्षणों में हाथ-पैर में झुनझुनी और कमजोरी शामिल है, जो तेजी से बढ़कर शरीर के ऊपरी हिस्से तक फैल सकती है। गंभीर मामलों में श्वसन मांसपेशियों पर असर पड़ सकता है, जिससे वेंटिलेटरी सहायता की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि GBS संक्रामक नहीं है, लेकिन यह संक्रमण के बाद प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया के कारण होता है।
स्वास्थ्य विभाग ने इस प्रकोप के संभावित कारणों का अध्ययन शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रारंभिक पहचान और उपचार से गंभीर जटिलताओं को रोका जा सकता है। उपचार में प्लाज्मा एक्सचेंज, अंतःशिरा इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG), और सहायक देखभाल शामिल हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने समुदाय को GBS के लक्षणों और रोकथाम के उपायों के बारे में जागरूक करने की अपील की है। नियमित स्वच्छता, टीकाकरण, और शीघ्र चिकित्सा देखभाल इसके प्रभाव को कम करने में सहायक हो सकते हैं।