
लखनऊ, 9 सितंबर 2025:
यूपी की राजधानी लखनऊ के नगर निगम की मंगलवार को हुई सदन बैठक हंगामे और आरोप-प्रत्यारोपों के बीच सुर्खियों में रही। भाजपा पार्षद मुकेश सिंह मोंटी ने महापौर सुषमा खरकवाल पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह जनता के कामों की अनदेखी कर निजी हित साध रही हैं। इस दौरान दोनों के बीच तीखी नोकझोंक हुई और सदन में शोर-शराबा शुरू हो गया।
मोंटी ने आरोप लगाया कि नगर निगम के मार्ग प्रकाश विभाग में स्ट्रीट लाइट मेंटिनेंस टेंडर में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। पहले 23 शर्तों वाले टेंडर को घटाकर 18 शर्तों का कर दिया गया और केवल एक ही ठेकेदार को मंजूरी दी गई। उन्होंने महापौर पर इशारे से यह टेंडर पास कराने का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि कार्रवाई न होने पर जनता को नुकसान उठाना पड़ेगा।
कांग्रेस पार्षद मुकेश सिंह चौहान ने भी मोंटी का समर्थन करते हुए सिंगल टेंडर को नियमविरुद्ध बताया और तत्काल निरस्त करने की मांग की। कई भाजपा पार्षदों ने भी इस मुद्दे पर आपत्ति जताई।

बैठक में पार्कों के रखरखाव का मुद्दा भी गरमाया। पार्षदों ने आरोप लगाया कि नगर निगम एक ही ठेकेदार को पूरे शहर के पार्कों का रखरखाव सौंपने की तैयारी कर रहा है। भाजपा पार्षद प्रमोद सिंह राजन ने खुलासा किया कि जिस ठेकेदार को काम दिया जाना है, उसकी आठ कंपनियां पहले से नगर निगम में अलग-अलग नामों से सक्रिय हैं। इस पर भाजपा, सपा और कांग्रेस पार्षद एकजुट होकर नारेबाजी करने लगे।
मामला तब और बिगड़ गया जब अपर नगर आयुक्त ने कहा कि इस विषय पर निर्णय सदन का नहीं है। पार्षदों ने इस बयान का कड़ा विरोध किया और सदन का माहौल पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो गया। नारेबाजी के बीच “तानाशाही नहीं चलेगी” और “आवाज दो हम एक हैं” जैसे नारे गूंजते रहे। हालात बिगड़ने पर सदन को आधे घंटे के लिए स्थगित करना पड़ा।






