
मुंबई, 16 अप्रैल 2025
बुधवार को विदेशी निवेशकों की वापसी, कमजोर अमेरिकी मुद्रा और कच्चे तेल की घटती कीमतों के चलते रुपये ने डॉलर के मुकाबले मजबूती दिखाई। इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज में रुपया 26 पैसे की तेजी के साथ 85.54 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। यह लगातार तीसरा कारोबारी दिन रहा, जब भारतीय मुद्रा में मजबूती दर्ज की गई है।
रुपये की मजबूती का बड़ा कारण एफआईआई यानी विदेशी संस्थागत निवेशकों की घरेलू शेयर बाजार में वापसी है। मंगलवार को एफआईआई ने 6,065.78 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की। इसके साथ ही डॉलर इंडेक्स में भी कमजोरी देखने को मिली, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले 0.47 प्रतिशत गिरकर 99.49 पर आ गया है। यह स्तर आखिरी बार 1 मार्च 2022 को देखा गया था।
इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 64.44 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गई, जो पिछले चार साल का सबसे निचला स्तर है। इससे आयात खर्च में कटौती की संभावना है, जिससे रुपये को सपोर्ट मिला।
भारतीय शेयर बाजार में भी हल्की गिरावट देखने को मिली, जहां बीएसई सेंसेक्स 118 अंक गिरकर 76,616.87 और निफ्टी 41 अंक फिसलकर 23,287.45 पर बंद हुआ। हालांकि, पिछले कुछ सत्रों में बाजार में 4 प्रतिशत से अधिक की तेजी आ चुकी है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च में खुदरा महंगाई घटकर 3.34 प्रतिशत और थोक महंगाई 2.05 प्रतिशत पर आ गई, जो क्रमशः छह और तीन महीने का न्यूनतम स्तर है। निर्यात में भी 0.7 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई, जिससे रुपये की स्थिति और मजबूत हुई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर विदेशी निवेशकों का रुझान बना रहा और तेल की कीमतें नियंत्रण में रहीं, तो निकट भविष्य में रुपये में और मजबूती देखी जा सकती है।






