
वाराणसी, 30 मार्च 2025:
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने वाराणसी में नव संवत्सर के कार्यक्रम में सपा मुखिया अखिलेश के गोबर, गोशाला और इत्र वाले बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। शंकराचार्य ने नसीहत देने के अंदाज में उन्हें सलाह दी कि विरोध की भी एक मर्यादा होती है, और यह इतना नहीं बढ़ना चाहिए कि मां ही बुरी लगने लगे।
नव संवत्सर कार्यक्रम में किया पंचांग का विमोचन
नव संवत्सर के अवसर पर श्री विद्यामठ में सनातनी पंचांग के विमोचन के दौरान शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने विक्रम संवत को भारत का असली नव वर्ष बताया। उनका कहना था कि इससे इतर कोई और नव वर्ष मनाना संविधान और देश के साथ अपराध है। कहा कि संविधान में भी विक्रम संवत की तिथि अंकित है। इसे अधिकृत मान्यता मिलनी चाहिए।
इत्र महफिलों में महकता था, उन्हें गोमाता से दुर्गंध आती है ये उनका दुर्भाग्य
एक सवाल के जवाब में शंकराचार्य ने अखिलेश के बयान को उनकी ही जाति और संस्कृति के लिए शर्मिंदगी का सबब बताया। उन्होंने कहा, गाय हमारी माता है। उनके शरीर से हमें सुगंध मिलती है, उनके द्रव्य पदार्थ हमें पोषण देते हैं। अगर अखिलेश को गोमाता से दुर्गंध आती है, तो यह उनका दुर्भाग्य है।
उन्होंने कहा, इत्र भारत की परंपरा का हिस्सा नहीं है। यह आक्रमणकारियों के साथ आई विदेशी विधा है, जो उनकी महफिलों में सुगंध बिखेरती थी। हमारे लिए तो गोमाता के द्रव्य पदार्थ ही पवित्र और पोषक हैं।






