
संतोष देव गिरि
मिर्जापुर,11 मार्च 2025:
“मेरा घर खाली करा दीजिए साहब! वरना आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नहीं है…” यह कहते हुए सशस्त्र सीमा सुरक्षा बल (SSB) के जवान रयूफ अंसारी फफक-फफक कर रो पड़े। आंखों में आंसू और मन में निराशा लिए जवान जब मिर्जापुर के पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे, तो उनकी पीड़ा सुनकर वहां मौजूद लोग भी भावुक हो गए।
चार साल से न्याय की गुहार, पर नहीं हुई सुनवाई
उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर के हलिया थाना क्षेत्र के मनिगढ़ा गांव निवासी रयूफ अंसारी केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बल (SSB) में कांस्टेबल के पद पर पोखराझार, भूटान बॉर्डर पर तैनात हैं। उन्होंने हलिया के देवरी बाजार में दो बिस्वा जमीन खरीदकर एक मकान बनवाया था, लेकिन ड्यूटी पर लौटने के बाद संतोष कुमार नामक व्यक्ति ने उनके घर पर कब्जा जमा लिया। जब जवान को इसकी जानकारी हुई, तो उन्होंने हलिया थाने से लेकर क्षेत्राधिकारी, जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक तक से गुहार लगाई, लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी।
किराए के घर में रहने को मजबूर
रयूफ अंसारी का कहना है कि वह और उनका परिवार अपने ही घर से बेदखल होकर किराए के मकान में रहने को मजबूर हैं। उन्होंने बताया कि चार साल से जब भी उन्हें छुट्टी मिलती है, वे अपने घर को खाली कराने की गुहार लगाते हैं, लेकिन आरोप है कि मकान कब्जा करने वाला व्यक्ति न सिर्फ मकान छोड़ने से इनकार करता है, बल्कि उन्हें एससी-एसटी एक्ट में फंसाकर जेल भिजवाने और नौकरी छिनवाने की धमकी भी देता है।
मामले को लेकर उच्चाधिकारियों को भी किया गया गुमराह
जवान ने बताया कि उनके उच्चाधिकारियों ने भी स्थानीय पुलिस को पत्र लिखकर उनके घर को कब्जामुक्त कराने का निर्देश दिया था, लेकिन पुलिस ने मामला न्यायालय में विचाराधीन होने की बात कहकर कार्रवाई से बचने की कोशिश की। रयूफ का कहना है कि उनकी किसी से कोई रंजिश नहीं रही और न ही घर पर कब्जा करने वाले व्यक्ति से उनका कोई पुराना विवाद है।
“सरहद की रक्षा की, पर अपने ही घर के लिए भटक रहा हूं”
भावुक होते हुए जवान ने कहा, “मैंने देश की सेवा में जान की बाजी लगाई, सरहद की हिफाजत के लिए पैर में गोली तक खाई, लेकिन अपने ही घर में रहने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा हूं।”
पुलिस अधीक्षक कार्यालय से मिला कार्रवाई का आश्वासन
जवान ने मिर्जापुर पुलिस अधीक्षक कार्यालय में प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन एसपी से मुलाकात न हो पाने के कारण उनका आवेदन पुलिस अधिकारियों ने लिया और जांच कराकर कार्रवाई का आश्वासन दिया।
अब देखना होगा कि प्रशासन इस जवान की फरियाद कब तक सुनता है और क्या उसे उसका हक मिल पाएगा या नहीं।






