
वाशिंगटन, 2 जुलाई 2025
क्वाड देशों—भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया—ने दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में चीन की आक्रामक गतिविधियों को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। वाशिंगटन में हुई क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में चीन को बिना नाम लिए उसकी हरकतों पर चेतावनी दी गई है। क्वाड ने साफ कहा कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के खिलाफ किसी भी ‘दादागिरी’ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
क्वाड देशों ने समुद्र में जहाजों को टक्कर मारने, वॉटर कैनन के इस्तेमाल और समुद्री संसाधनों पर अतिक्रमण जैसी हरकतों की निंदा की है। बयान में कहा गया कि चीन की ये गतिविधियां सीधे तौर पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करती हैं और क्षेत्र में अस्थिरता को जन्म देती हैं।
क्वाड ने विशेष रूप से 12 जुलाई 2016 के अंतरराष्ट्रीय पंचाट (Arbitral Tribunal) के उस ऐतिहासिक फैसले का जिक्र किया, जिसमें चीन के दक्षिण चीन सागर पर तथाकथित “नाइन-डैश लाइन” दावे को अवैध बताया गया था। हालांकि, चीन ने इस फैसले को न सिर्फ खारिज किया, बल्कि इसके बाद और ज्यादा आक्रामकता दिखानी शुरू कर दी।
बयान में यह भी कहा गया कि समुद्री सीमाओं के विवादों का समाधान केवल अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS), के तहत शांतिपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए। नेविगेशन, हवाई उड़ानों और मुक्त व्यापार की स्वतंत्रता पर कोई समझौता नहीं होगा।
क्वाड ने चीन की समुद्री रणनीति के साथ-साथ उसकी आर्थिक नीति पर भी सवाल उठाए। विशेष रूप से रेयर अर्थ मेटल्स और क्रिटिकल मिनरल्स के क्षेत्र में चीन की एकाधिकारवादी रणनीति को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के लिए खतरा बताया गया है।
क्वाड का यह सख्त रुख इस बात का संकेत है कि चीन के विस्तारवादी प्रयास अब वैश्विक मंच पर खुलकर चुनौती दिए जा रहे हैं। अगली क्वाड समिट की मेजबानी भारत करेगा, ऐसे में अब नजर इस पर होगी कि क्या यह चेतावनी भविष्य में ठोस कार्रवाई में बदलती है।