
नई दिल्ली | 28 जुलाई 2025
देश के शहरों और ग्रामीण इलाकों में आवारा कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। छोटे बच्चों और बुजुर्गों पर हो रहे हमलों ने आम लोगों की चिंता बढ़ा दी है। ताजा घटनाओं और मीडिया रिपोर्टों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया है। खासकर रेबीज की वजह से मासूम बच्चों की मौतों ने अदालत को भी झकझोर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला ने इस विषय में कहा कि आवारा कुत्तों के हमलों और रेबीज से हो रही मौतें अत्यंत गंभीर मामला है। उन्होंने कहा कि यह बात बेहद चिंता का विषय है कि शहर आवारा कुत्तों की समस्या से बुरी तरह जूझ रहे हैं और इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ रहा है। इस पूरे मामले को अब भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) की बेंच को भेज दिया गया है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, हाल के महीनों में आवारा कुत्तों के हमलों में कई छोटे बच्चों की जान गई है। रेबीज जैसी जानलेवा बीमारी से कई मौतें हुई हैं, जिनमें अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि इस तरह की घटनाएं केवल स्थानीय प्रशासन की नाकामी नहीं बल्कि जनस्वास्थ्य और सुरक्षा का बड़ा खतरा भी बन चुकी हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में बढ़ती जनसंख्या, खुली जगहों की कमी, और कुत्तों की नसबंदी न होने से इनकी संख्या में तेजी आई है। इसके चलते कुत्ते अधिक हिंसक होते जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई की जरूरत जताई है। कोर्ट का मानना है कि जनसंख्या नियंत्रण, नसबंदी कार्यक्रम, टीकाकरण और ठोस पालिसी के बिना इस समस्या से निपटना मुश्किल होगा।
फिलहाल अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों से इस मुद्दे पर जवाब मांगा है और कहा है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए तत्काल कदम उठाए जाएं।






