ढाका,4 दिसम्बर 2024:
बांग्लादेश में हिंदू संत स्वामी चिन्मय दास की जमानत याचिका 2 जनवरी तक टाल दी गई, क्योंकि उनके लिए अदालत में कोई वकील मौजूद नहीं था। यह घटना बांग्लादेश में हिंदुओं के प्रति बढ़ती असहिष्णुता और हिंसा को उजागर करती है।
स्वामी चिन्मय दास के पहले वकील, जो एक मुस्लिम थे, को अदालत के बाहर भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। उनके दूसरे वकील, हिंदू समुदाय के रमन राय, को अदालत परिसर में ही भीड़ ने पुलिस और सेना के सामने मॉब लिंचिंग का शिकार बना दिया। उनके परिवार पर भी हमला हुआ, जिसके बाद वे गंभीर हालत में आईसीयू में भर्ती हैं।
इन घटनाओं के बाद स्वामी चिन्मय दास को कोई भी वकील मिलने के लिए तैयार नहीं है। यह स्थिति चौंकाने वाली है, खासकर जब इसे भारत की न्यायिक प्रणाली से तुलना की जाए। भारत में याकूब मेमन और अफजल गुरु जैसे आतंकवादियों को भी वकील और न्याय का अधिकार मिला, लेकिन बांग्लादेश में एक निर्दोष हिंदू संत के लिए न्याय की राह मुश्किल हो गई है।
यह घटनाएं न केवल बांग्लादेश में धार्मिक असहिष्णुता की स्थिति को उजागर करती हैं, बल्कि यह सवाल भी उठाती हैं कि हन्दू अल्पसंख्यकों के अधिकार और सुरक्षा कैसे सुनिश्चित किए जाएं।