विजय पटेल
रायबरेली, 26 दिसंबर 2025:
जिले में बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी एक आदेश ने शिक्षकों को नाराज कर दिया। सरकारी स्कूलों के मास्टरों को आवारा कुत्तों के प्रबंधन का जिम्मा सौंपे जाने पर शिक्षक संगठनों ने तीखा विरोध जताया। मामला बढ़ता देख बीएसए को आखिरकार अपना आदेश बदलना पड़ा।
दरअसल, रायबरेली के बेसिक शिक्षा अधिकारी राहुल सिंह ने 24 दिसंबर को एक आदेश जारी किया था, जिसमें सभी प्रधानाचार्यों को स्कूल परिसर की सुरक्षा, बच्चों की देखरेख और आवारा कुत्तों के प्रबंधन की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने को कहा गया था। आदेश में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला दिया गया था।
आदेश सामने आते ही जिले के बेसिक शिक्षक आक्रोशित हो गए। शिक्षकों का कहना था कि पहले से ही उन पर गैर-शैक्षणिक कामों का बोझ है और अब कुत्तों के प्रबंधन जैसी जिम्मेदारी देना पूरी तरह गलत है। प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष राजेश शुक्ला ने कहा कि शिक्षकों से पहले ही इतने अतिरिक्त काम कराए जा रहे हैं, अब कुत्तों की गिनती और देखरेख का काम देना समझ से बाहर है।

वहीं सहायक अध्यापक चंद्रमणि बाजपेई ने सवाल उठाया कि अगर शिक्षक ऐसे कामों में उलझे रहेंगे तो बच्चों को पढ़ाने का समय कब मिलेगा और शिक्षा का स्तर कैसे सुधरेगा। शिक्षकों के विरोध के बाद बीएसए राहुल कुमार सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि आदेश का मकसद केवल बच्चों और स्कूल परिसर की सुरक्षा सुनिश्चित करना था। जिन स्कूलों में बाउंड्री वॉल नहीं है, वहां आवारा कुत्तों के घुसने की आशंका रहती है, इसी को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने की बात कही गई थी।
हालांकि, शिक्षक संगठनों के विरोध के बाद बीएसए ने अपने आदेश में संशोधन कर दिया, जिससे शिक्षकों को राहत मिली। मामला फिलहाल शांत हो गया है, लेकिन इस आदेश ने एक बार फिर शिक्षकों से लिए जा रहे अतिरिक्त कामों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।






