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एक ऐसा खतरनाक विलेन जिसने बुराई को भी दिया ग्लैमर…मरने के बाद भी रिलीज हुईं थी कई फिल्में!

अमजद खान ने सिर्फ विलेन का किरदार ही नहीं निभाया, बल्कि अपनी अदाकारी से कॉमेडी और पॉजिटिव रोल्स में भी अपना जादू दिखाया। गब्बर सिंह आज भी बॉलीवुड का सबसे डरावना और यादगार चेहरा माना जाता है।

लखनऊ, 12 नवंबर 2025:

बॉलीवुड का वो चेहरा, जिसने सिर्फ डर ही नहीं बल्कि स्टाइल और ग्लैमर से बुराई को जीता, आज भी हर किसी के जेहन में गब्बर सिंह के रूप में जिंदा है। उनके सामने कॉमेडी और पॉजिटिव रोल भी फीके लगते हैं, क्योंकि जब वह स्क्रीन पर आते हैं, तो बस डर और दीवानगी ही राज करती है।

बॉलीवुड के मशहूर विलेन अमजद खान का नाम सुनते ही हर किसी के जेहन में गब्बर सिंह की डरावनी तस्वीर आ जाती है। फिल्म शोले में उनका ये किरदार इतना ताकतवर और यादगार था कि उन्होंने एक रात में ही खुद को हिंदी सिनेमा का सबसे बड़ा विलेन साबित कर दिया। लेकिन अमजद सिर्फ डर दिखाने तक ही सीमित नहीं थे। उन्होंने कॉमेडी और पॉजिटिव रोल भी निभाए और दर्शकों को हंसाया और उनका दिल जीता।

कैसे हुई थी उनके करियर की शुरुआत?

अमजद खान का जन्म 12 नवंबर 1940 को पेशावर में हुआ। उनके पिता जयंत भी फिल्मी दुनिया से जुड़े थे। बचपन से ही अमजद को एक्टिंग का शौक था। 11 साल की उम्र में उन्होंने नाजनीन फिल्म में बाल कलाकार के रूप में काम किया और 17 साल की उम्र में अब दिल्ली दूर नहीं में नजर आए। ये शुरुआती फिल्में उनके करियर के लिए पहला कदम साबित हुईं।

गब्बर सिंह और करियर का तूफ़ान

1975 में फिल्म शोले आई और गब्बर सिंह के किरदार ने अमजद का नाम रातोंरात घर-घर में पहुंचा दिया। इसके बाद उन्होंने मुकद्दर का सिकंदर, सत्ते पे सत्ता, शतरंज के खिलाड़ी जैसी कई हिट फिल्मों में विलेन की भूमिका निभाई। लेकिन उनका करियर सिर्फ विलेन तक ही नहीं रुका। उन्होंने कुर्बानी, लव स्टोरी, याराना, उत्सव जैसी फिल्मों में पॉजिटिव और कॉमेडी रोल भी किए।

बिस्किट जैसे विज्ञापनों में भी निभाया रोल

अमजद खान की आवाज, हाव-भाव और अभिनय ने उन्हें हमेशा यादगार बनाया। गब्बर सिंह का किरदार इतना पॉपुलर हुआ कि उन्हें बिस्किट जैसे विज्ञापनों में भी उसी रोल में दिखाया गया। उनकी अदाकारी ने न केवल उन्हें हिट फिल्में दीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा भी बनाई।

निधन के बाद कई फिल्में हुईं थी रिलीज

1986 में फिल्म शूटिंग के दौरान गोवा जाते समय उनका कार एक्सीडेंट हुआ। गंभीर चोटें आईं और स्टेरॉयड दिए गए। 27 जुलाई 1992 को उनकी हृदय गति रुकने से मृत्यु होउनके जाने के बाद भी उनकी कई फिल्में रिलीज हुईं, ‘बेचैन’, ‘रुदाली’, ‘कलिंगा’, ‘अनोखी चाल’, ‘आतंक’, ‘हुकुमनामा’, ‘दो फंटूश’, ‘मुहाफिज’, ‘पुलिस वाला’, ‘दिल ही तो है’, ‘जान पे खेलकर’ और ‘वक्त का बादशाह’। अमजद खान आज भी बॉलीवुड के सबसे यादगार विलेन के रूप में जीते हैं और उनका गब्बर सिंह का किरदार हमेशा लोगों के दिलों में बना रहेगा।

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