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धार्मिक पर्यटन का ‘हॉट स्पॉट’ बन गया है उत्तर प्रदेश

लखनऊ, 17 जनवरी 2025

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में रामजन्भूमि पर भगवान श्रीराम का दिव्य एवं भव्य मंदिर बनने के बाद यहां रोज आने वाले पर्यटको/श्रद्धालुओ की संख्या एक से डेढ़ लाख तक है। यह देश के किसी भी धार्मिक स्थल पर आने वाले पर्यटकों/श्रद्धालुओं से अधिक है।

एक रिपोर्ट के अनुसार पंजाब स्थित सिखों के सबसे पवित्र स्थल स्वर्ण मंदिर में आने वाले रोज के पर्यटक/श्रद्धालु का औसत एक लाख के करीब है। जम्मू कश्मीर में मां वैष्णो देवी पहुंचने वालों को औसत संख्या 32 से 40 हजार है।

पिछले सात वर्षों में उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के प्रयासों के कारण धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन नए आयाम छू रहा है और धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन के साथ प्रदेश की आर्थिक तरक्की का जरिया भी बन रहा है।
एक अध्ययन के अनुसार
वैश्विक पर्यटन की इकनॉमी 2032 तक 2.2 अरब डॉलर तक होगी। ताजा रुझानों और करीब 500 ऐसे प्रसिद्ध स्थलों के कारण भारत की इसमें महत्वपूर्ण हिस्सेदारी होगी। इस हिस्से में एक बड़ा योगदान उत्तर प्रदेश का होगा।

भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या, उनके वनवास का सबसे प्रमुख पड़ाव चित्रकूट, मां विंध्येश्वरी धाम
श्रीकृष्ण, राधा और ग्वालबालों की यादें सजोए मथुरा, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव, गोवर्धन, तीरथराज प्रयाग, तीनों लोकों से न्यारी भगवान शिव की काशी के कारण धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन के लिहाज से उत्तर प्रदेश का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है।

वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के बाद वाराणसी और आस पास के क्षेत्रों में वर्ष 2023 में 10करोड़ से अधिक पर्यटक/श्रद्धालु आए।

अब नीति आयोग के सुझाव पर योगी सरकार वाराणसी और प्रयागराज को मिलाकर एक नया धार्मिक क्षेत्र विकसित करने जा रही है। इस धार्मिक क्षेत्र में प्रयागराज और वाराणसी के  अलावा चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, मीरजापुर, भदोही जिले शामिल होंगे। इस क्षेत्र का आकार 22 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक का होगा। इससे करीब दो करोड़ 38 लाख से अधिक लोगों के जीवन पर सकारात्मक असर पड़ेगा। इस परिकल्पना के साकार होने पर उत्तर प्रदेश के धार्मिक पर्यटन को पंख लग जाएंगे।

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