Uttrakhand

उत्तराखंड : सारी गांव बना ग्रामीण पर्यटन का केंद्र, होम स्टे संस्कृति से बदली तस्वीर

रुद्रप्रयाग, 24 मई 2025:

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित सारी गांव आज ग्रामीण पर्यटन और स्वरोजगार का चमकता उदाहरण बन चुकी है। तुंगनाथ और चोपता जैसे प्रसिद्ध ट्रैकिंग स्थलों के रास्ते में बसे इस छोटे से गांव ने होम स्टे संस्कृति को अपनाकर अपने विकास की नई इबारत लिखी और अन्य गांवों को भी प्रेरित किया है।

1999 में माउंटेन गाइड मुरली सिंह नेगी ने की थी पहल

सारी गांव में होम स्टे की शुरुआत वर्ष 1999 में माउंटेन गाइड मुरली सिंह नेगी द्वारा की गई थी। उन्होंने अपने पुराने घर को पर्यटकों के ठहरने के लिए खोला। यह प्रयोग सफल रहा। इसके बाद अन्य ग्रामीणों ने भी पारंपरिक घरों को होम स्टे में बदलना शुरू किया।

गांव में हैं 50 से अधिक होम स्टे

वर्तमान में गांव में 50 से अधिक होम स्टे संचालित हो रहे हैं, जिनमें से 41 पंजीकृत हैं। गांव के अधिकतर परिवार अब पर्यटन से जुड़ चुके हैं और स्वरोजगार का लाभ उठा रहे हैं।

सरकारी योजनाओं से मिला बढ़ावा

होम स्टे संचालन में ग्रामीणों को राज्य सरकार की “दीन दयाल उपाध्याय पर्यटन होम स्टे योजना” और “ट्रैकिंग ट्रैक्शन सेंटर योजना” का लाभ मिला है। अब तक लगभग 30 ग्रामीणों को अनुदान प्राप्त हो चुका है, जिससे उन्हें आर्थिक मजबूती मिली है।

7000 पर्यटक, 250 से अधिक को रोजगार

स्थानीय निवासी जीएस भट्ट के अनुसार वर्ष 2024 में करीब 7000 पर्यटक सारी गांव में ठहरे। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 250 से अधिक लोगों को रोजगार मिला। इसके चलते पलायन पर रोक लगी और गांव में नई ऊर्जा का संचार हुआ है।

सीएम धामी ने की सराहना

पिछले दिसंबर में रुद्रप्रयाग दौरे पर आए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सारी गांव पहुंचकर एक होम स्टे में रात्रि विश्राम किया। उन्होंने गांव की पर्यटन पहल की सराहना करते हुए इसे “अन्य गांवों के लिए अनुकरणीय मॉडल” बताया।

प्राकृतिक ट्रैकिंग मार्गों का संगम

सारी गांव से तीन प्रमुख ट्रैकिंग मार्ग – तुंगनाथ (30 किमी), चोपता (25 किमी), और देवरिया ताल (3 किमी) शुरू होते हैं। ये मार्ग साहसिक पर्यटन प्रेमियों के लिए मुख्य आकर्षण हैं। सारी गांव आज यह सिद्ध करता है कि यदि सही दिशा में कदम उठाए जाएं, तो ग्राम्य भारत भी आत्मनिर्भर और सशक्त बन सकता है।

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