अंशुल मौर्य
वाराणसी, 18 मई 2025:
कमिश्नरेट वाराणसी की साइबर सेल और थाना लालपुर-पांडेयपुर पुलिस की संयुक्त टीम ने साइबर ठगी के रैकेट का पर्दाफाश किया है, जिसने गरीब और कम पढ़े-लिखे लोगों की जिंदगी को निशाना बनाकर करोड़ों की ठगी को अंजाम दिया। इस मामले में तीन शातिर साइबर अपराधियों को जेल भेजा गया है वहीं एक बैंक कर्मचारी की भी सांठगांठ सामने आई है।
फर्जी सिम सक्रिय होने की शिकायत ने खोली पोल
मेहताब खान नामक व्यक्ति ने थाना लालपुर- पांडेयपुर में शिकायत दर्ज कराई कि उनके नाम पर एक अनजान मोबाइल सिम चल रहा है, जिसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। मेहताब ने गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर अपने आधार नंबर से जांच की, तो यह सनसनीखेज खुलासा हुआ। पुलिस ने तुरंत FIR दर्ज कर जांच शुरू की और इस ठगी के तार दिल्ली, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों तक जुड़े होने का पता चला।
पहड़िया चौराहे पर दबोचे गए अपराधी
पुलिस ने जाल बिछाया और पहड़िया चौराहे के पास तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए अपराधियों की पहचान सूर्यकांत विश्वकर्मा (नई बस्ती, लालपुर पांडेयपुर), विकास मौर्या (विशेश्वरगंज), और मोहम्मद अरमान (कजाकपुरा, आदमपुर) के रूप में हुई। इनके पास से पुलिस ने ठगी का पूरा सामान बरामद किया है।
गिरोह ने बताया कैसे निर्धन व कम पढ़े लिखे लोगों को बनाया जाता था शिकार ।
पुलिस के खुलासे ने सबको हैरान कर दिया। यह गिरोह बेहद चालाकी से कम पढ़े-लिखे और गरीब लोगों को अपना शिकार बनाता था। जब कोई व्यक्ति सिम लेने या पोर्ट कराने जाता, तो डबल KYC के जरिए फर्जी सिम निकाल लिया जाता। इसके अलावा, झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के नाम पर फर्जी आधार और पैन कार्ड बनवाकर बैंक खाते खोले जाते। ये सिम और बैंक खाते कूरियर या बस के जरिए दिल्ली, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में बैठे साइबर ठगों तक पहुंचाए जाते, जो इनका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर ठगी के लिए करते थे।
पुलिस ने बरामद किया ठगी का खजाना, पुलिस ने बैंक व टेलीकॉम कंपनी से सम्पर्क साधा
पुलिस ने आरोपियों के पास 28 सिम कार्ड (Airtel, Vi), 1 बायोमेट्रिक मशीन, 3 एंड्रॉइड फोन (लगभग 72,000 की कीमत), 5 कीपैड मोबाइल, 7 डेबिट कार्ड, 5 बैंक पासबुक, 5 चेकबुक, 2 आधार कार्ड और 820 नकद शामिल हैं। इस रैकेट में एक बैंक कर्मचारी भी शामिल था, जो फर्जी खाते खोलने में मदद करता था। पुलिस ने बैंक को इस कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई करने और टेलिकॉम कंपनी को POS एजेंट का लाइसेंस रद्द करने के लिए पत्र भेजा है। पुलिस अब इस रैकेट के अन्य सदस्यों और इससे जुड़े बड़े ठगों की तलाश में जुट गई है।