Uttar Pradesh

वाराणसी : खतरे का निशान छूने को बेताब गंगा…पटरी से उतरा जनजीवन, पर्यटक मायूस

अंशुल मौर्य

वाराणसी, 1 अगस्त 2025:

यूपी में काशी की जीवनरेखा गंगा एक बार फिर उफान पर है, जिसने न केवल स्थानीय निवासियों बल्कि पर्यटकों के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जो अब वाराणसी में 69.95 मीटर के करीब पहुंच चुका है। यह वार्निंग लेवल 70.26 मीटर से महज 31 सेंटीमीटर दूर है। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, जलस्तर 2 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है और शुक्रवार रात तक स्थिति और गंभीर हो सकती है।

पहाड़ों पर हो रही बारिश, बांधों से पानी छोड़ा गया

गंगा के उफान की मुख्य वजह उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में लगातार हो रही बारिश है। भारी बारिश के कारण चंबल, बेतवा और अन्य नदियों में उफान के बाद बांधों से पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे वाराणसी में जलस्तर और बढ़ने की आशंका है। जल आयोग का अनुमान है कि 5 अगस्त के बाद गंगा का जलस्तर और तेजी से बढ़ेगा, जिसका सीधा असर काशीवासियों की जिंदगी पर पड़ेगा।

श्मशान घाटों पर संकट, छतों-गलियों में हो रहा दाह संस्कार

गंगा के बढ़ते जलस्तर ने मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र श्मशान घाटों को पूरी तरह डुबो दिया है। मोक्ष की नगरी कहे जाने वाले इन घाटों पर दाह संस्कार अब छतों और तंग गलियों में हो रहे हैं। मणिकर्णिका घाट पर एक समय में केवल 10 शवों का अंतिम संस्कार संभव हो पा रहा है, जबकि हरिश्चंद्र घाट पर एक संकरी गली में दो-तीन शवों को जलाने की जगह बमुश्किल मिल रही है। दूर-दूर से शव लेकर आए लोग घंटों इंतजार करने को मजबूर हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि घाटों पर पानी भरने से जगह की कमी ने यह संकट पैदा किया है।

घाट डूबने से छतों पर हो रही गंगा आरती

गंगा के बढ़ते जलस्तर ने वाराणसी के पर्यटन को भी प्रभावित किया है। अस्सी, तुलसी, मणिकर्णिका, सिंधिया, पंचगंगा, नमो और संत रविदास जैसे प्रमुख घाट पूरी तरह पानी में डूब चुके हैं। दशाश्वमेध और शीतला घाट पर भी पानी भरने से मशहूर गंगा आरती अब छतों पर आयोजित की जा रही है। पर्यटकों की निराशा साफ झलक रही है, क्योंकि काशी के सौंदर्य का केंद्र रहे ये घाट अब जलमग्न हैं। जल आयोग ने चेतावनी दी है कि अगस्त में गंगा का जलस्तर और ऊपर जा सकता है। प्रशासन और स्थानीय लोग इस प्राकृतिक आपदा से निपटने की तैयारी में जुटे हैं, लेकिन गंगा का रौद्र रूप काशी की सांस्कृतिक और धार्मिक जिंदगी पर गहरा असर डाल रहा है।

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