
अनिता चौधरी
नई दिल्ली, 31 मार्च 2025:
चैत्र प्रतिपदा और नव संवत्सर पर विश्व हिंदू परिषद ने हिंदू परिवारों को अपनी सोच बदलने की सलाह दी है। ये खानपान और कपड़ों से जुड़ी नहीं वरन संस्कार, परम्पराओं और भविष्य से जुड़ी है। ‘दि हो हल्ला’ से विशेष बातचीत में विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने इस विचार के साथ अन्य मसलों पर भी अपने राय साझा की।
दिसम्बर की ठंड के बीच पब में शराब पीते नहीं, मार्च के बसंत में पूजा-उपवास लेकर आता है नव संवत्सर
‘दि हो हल्ला’ को दिए गए साक्षात्कार में नव संवत्सर को अंतर्राष्ट्रीय आयाम देने के सवाल पर विहिप के मुखिया आलोक कुमार ने कहा कि ये हिंदुओं का है लेकिन इसे भारतीय नववर्ष कहा जाए तो उचित होगा। ये दिसम्बर की ठंड के बीच रेस्टोरेंट, पब में शराब पीते, डांस करते नहीं आता। ये नववर्ष मार्च के बसंत में आता है। इसे हम मंदिर, देवालयों में उपवास, पूजा-अर्चना कर मनाते हैं। जो उपवास नहीं करते वो फलाहार करते हैं। यही नहीं लोग शराब, मांस आदि से दूर रहते हैं। आस्था के माहौल में हमें श्रीराम के जन्म की प्रतीक्षा रहती है, तुरंत बाद हनुमान जी का जन्मदिन आता है। ये नववर्ष संस्कार देने वाला है, व्यक्तिगत रूप से संकल्प लेने वाला है। ये सामाजिक रूप से भी इकठ्ठा मनाए जाने वाला हिंदुओं का उत्सव है। ये नववर्ष समरसता, संस्कार प्रेम का उत्सव बने, यही संगठन का प्रयास है।
हिंदू परिवारों में दो-तीन बच्चे होने चाहिए, कॅरियर देखें लेकिन गृहस्थ जीवन का भी ख्याल हो
विहिप मुखिया ने जनसंख्या व शादी को लेकर किये गए आह्वान के सवाल पर हिंदू परिवारों को सलाह देते हुए अपनी एक अहम बात रखी। कहा कि संगठन हिंदू परिवारों पर ध्यान देने की कोशिश कर रहा है। परिवार के जीवन में हिंदुत्व होना चाहिए, बच्चों को भी धर्म के संस्कार मिलने चाहिएं। एक परिवार में एक ही बच्चा रखने से जैसे हम उसके साथ दुश्मनी कर बैठते हैं। वो अकेला होने की वजह से अहंकारी हो जाता है। दूसरा बच्चा आ जाये तो सहन नहीं करता इसलिए हर घर में दो या तीन बच्चे हों, शादी, शादी की उम्र में हो, कॅरियर तो अच्छा होना ही चाहिए। गृहस्थ जीवन का भी ख्याल रखना होगा।
वक्फ में संशोधन क्या हो रहा है, इसे समझें विरोध खत्म हो जाएगा
वक्फ संशोधन बिल को लेकर विरोध के मुद्दे पर विहिप मुखिया ने स्पष्ट किया कि पहले लोग ये समझें कि संशोधन क्या हो रहा है। संशोधन क्यों हो रहा है। संशोधन से पारदर्शिता आएगी। अगर लोग ये समझ लें कि संशोधन के फायदे क्या हैं तो विरोध खुद समाप्त हो जाएगा। इसके अलावा उन्होंने अभिनेता सलमान द्वारा राम के चित्र वाली घड़ी पहनने पर हुए एतराज को लेकर कहा कि राम जी हमारे पुरखा हैं। उन्होंने मर्यादाओं का जीवन तय किया है। आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
खुले में मांस की बिक्री न करें, कुछ दिन तो संयम दिखाना ही चाहिए
खुले में मांस की बिक्री पर रोक को लेकर दूसरे समुदाय की व्यथा और विपक्ष की राजनीति के सवाल पर उन्होंने कहा कि एक दूसरे की संवेदनाओं का ध्यान तो रखना ही होगा। सबके उत्सव सब लोग मनाएं। क्या हिन्दू रोजा अफ्तार नहीं करवाते, सेंवई नहीं खाते, ऐसे में उन्हें भी कुछ दिन संयम रखना चाहिए। इसका विरोध उचित नहीं है। संयम न दिखे तो वहां कानून का हस्तक्षेप हो।






