नई दिल्ली, 5 जून 2025
पासपोर्ट नवीनीकृत के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने आप नेता और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक बड़ी राहत दी है। बुधवार को पासपोर्ट नवीनीकृत मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि अगर दिल्ली आबकारी नीति मामले में आरोपी दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का पासपोर्ट 10 साल के लिए नवीनीकृत किया जाता है तो इसपर हमे कोई आपत्ति नहीं होगी।
विशेष न्यायाधीश दिग विनय सिंह ने कथित घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार और धन शोधन मामलों में यह आदेश पारित किया, जिनकी जांच क्रमश: सीबीआई और ईडी कर रहे हैं, और कहा कि केजरीवाल को विदेश यात्रा से पहले अदालत की औपचारिक अनुमति लेनी होगी।
आदेश में कहा गया है, “वर्तमान में, आवेदक विदेश यात्रा के लिए कोई अनुमति नहीं मांग रहा है, क्योंकि वह निकट भविष्य में विदेश यात्रा की योजना नहीं बना रहा है, लेकिन यह भी आवेदक को पासपोर्ट के पूरे 10 वर्षों के लिए नवीनीकरण की अनुमति देने के आड़े नहीं आ सकता है। आखिरकार जमानत की शर्तों में पहले से ही यह निर्धारित है कि आवेदक अदालत की औपचारिक अनुमति के बिना विदेश यात्रा नहीं करेगा।”
न्यायाधीश ने कहा, “अरविंद केजरीवाल द्वारा अपने पासपोर्ट के नवीनीकरण के लिए प्रस्तुत आवेदन को स्वीकार किया जाता है और यदि आवेदक, अर्थात अरविंद केजरीवाल का पासपोर्ट नियमों के अनुसार 10 वर्षों के लिए नवीनीकृत किया जाता है, तो इस अदालत को कोई आपत्ति नहीं है।” सीबीआई और ईडी दोनों ने केजरीवाल की याचिका का विरोध किया।
ईडी ने कहा कि पासपोर्ट का नवीनीकरण पूरे 10 वर्षों के लिए नहीं दिया जाना चाहिए, जबकि सीबीआई ने कहा कि ऐसे मामलों से संबंधित सीबीआई की विभिन्न अदालतों में अपनाए गए मानदंडों के अनुसार नवीनीकरण की अनुमति पांच वर्षों के लिए दी जाती है।
हालांकि, न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि आदेश से किसी भी तरह से भारतीय पासपोर्ट अधिनियम और संबंधित नियमों के तहत पासपोर्ट नवीनीकरण देने या अस्वीकार करने में पासपोर्ट प्राधिकारियों के विवेक पर कोई बाधा नहीं आनी चाहिए। केजरीवाल के वकील ने दलील दी कि उनका पासपोर्ट 2018 में समाप्त हो गया था और उन्होंने 10 साल के लिए इसके नवीनीकरण के लिए आवेदन दिया है।
धन शोधन का यह मामला सीबीआई की एफआईआर से उत्पन्न हुआ है, जो दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना द्वारा नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं की जांच की सिफारिश करने के बाद दर्ज की गई थी। सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति में संशोधन करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नीति लागू की और भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत तक इसे खत्म कर दिया।