नई दिल्ली,17 अप्रैल 2025
इन दिनों वैश्विक बाजार में तनाव के बीच सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं। अनुमान है कि जल्द ही सोना ₹1 लाख प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है। ऐसे में लोगों की दिलचस्पी भी बढ़ी है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सोने की अधिकता भी किसी देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर सकती है? इतिहास में एक ऐसा ही वाकया सामने आया था, जब सोने की बाढ़ ने मिस्र की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया था और उसे संभलने में 12 साल लग गए थे।
यह घटना 1324 ईस्वी की है, जब माली साम्राज्य के नौवें शासक मनसा मूसा हज यात्रा पर निकले थे। उनके साथ 60,000 लोग, 12,000 गुलाम, 500 घोड़े और 80 ऊंट थे, जिन पर भारी मात्रा में सोना लदा हुआ था। जब मनसा मूसा मिस्र की राजधानी काइरो पहुंचे, तो उन्होंने वहां के लोगों में दिल खोलकर सोना बांटा। गरीब हो या अमीर, हर किसी के हाथ में सोना आ गया।
इस अचानक आई “सोने की बाढ़” ने काइरो की अर्थव्यवस्था को झकझोर दिया। लोगों के पास तो सोना था, लेकिन बाजार में सामान की कमी थी। नतीजतन, महंगाई चरम पर पहुंच गई और पूरे देश में आर्थिक मंदी छा गई। विशेषज्ञों के अनुसार, इस आर्थिक असंतुलन को ठीक होने में पूरे 12 साल लग गए।
ब्रिटिश संग्रहालय के अनुसार, उस समय माली साम्राज्य के पास दुनिया का आधा सोना था। मनसा मूसा ने टिम्बकटू को सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र में बदल दिया था। उनकी दौलत का अंदाज़ा आज तक नहीं लगाया जा सका है। 1375 ईस्वी के कैटलन एटलस में मनसा मूसा को सोने की गेंद और छड़ी के साथ सिंहासन पर बैठा दिखाया गया है।
यह घटना इस बात का सबूत है कि धन की अधिकता भी अगर संतुलन के बिना उपयोग की जाए, तो वह विनाश का कारण बन सकती है।