नई दिल्ली। , 16 सितंबर 2024
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि वो अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि वो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर तब तक नहीं बैठेंगे, जब तक जनता उन्हें ईमानदारी का सर्टिफिकेट नहीं दे देती.इसके बाद सोमवार को आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा अभी सीएम के नाम पर चर्चा नहीं हुई है. इस पर फैसला केजरीवाल के इस्तीफे के बाद विधायक दल की बैठक में लिया जाएगा. आप की राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक भी सोमवार को होने वाली है. केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा के बाद से उनके संभावित उत्तराधिकारियों के नाम की चर्चा तेज हो गई है. आइए जानते हैं कि आप का कौन सा नेता हो सकता है अरविंद केजरीवाल का उत्तराधिकारी.
दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के संभावित दावेदारों में एक नाम सबसे आगे है, वह है कालकाजी की विधायक और दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी का. अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद से ही आतिशी अपने सरकारी दायित्व के साथ-साथ पार्टी के कामकाज में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. पार्टी के कार्यक्रमों की वह प्रमुख चेहरा हैं. आप में उनके कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वो दिल्ली सरकार में पीडब्लूडी, शिक्षा, उच्च शिक्षा, योजना, बिजली और जल संसाधन जैसे 13 विभागों की मंत्री हैं. वो बहुत पहले से पार्टी में सक्रिय रही हैं. उन्होंने 2013 के चुनाम में आम आदमी पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र तैयार करने में भी बड़ी भूमिका निभाई थी.
अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल से संदेश भेजकर कहा था कि 15 अगस्त को उनकी गैरमौजूदगी में आतिशी ही झंडा फहराएंगी. लेकिन उनकी सलाह को नकारते हुए उपाराज्यपाल वीके सक्सेना ने परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत को झंडा फहराने के लिए अधिकृत किया. केजरीवाल की ओर से झंडा फहराने के लिए आतिशी को अधिकृत करना उनकी पार्टी में हैसियत बताने के लिए काफी है. वो पार्टी और सरकार की ओर से अक्सर मीडिया से भी मुखातिब होती रहती हैं. मीडिया में वो दिल्ली सरकार और आप का प्रमुख चेहरा हैं.
अरविंद के इस्तीफा देने की जानकारी सामने के बाद से ही एक चर्चा यह भी है कि आप किसी दलित को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठा सकती है.चर्चा यह है कि आप कोंडली से विधायक कुलदीप कुमार को सीएम की कुर्सी पर बैठा दे.आप को इस बाद की उम्मीद है कि किसी दलित को मुख्यमंत्री बनाने से उसके वोट बैंक में इजाफा होगा. अगर ऐसा होता है तो पहली बार दिल्ली में सीएम की कुर्सी पर कोई दलित बैठेगा.इसका असर भी दूरगामी होगा.अभी हरियाणा विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं और नवंबर में महाराष्ट्र का चुनाव प्रस्तावित हैं. इन दोनों राज्यों में दलित वोटर अधिक संख्या में हैं. आप अपने इस कदम से दलित वोटों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर सकती है.