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महिला दिवस: घर-गृहस्थी की गाड़ी संग रेलों को रफ्तार दे रहीं हैं ये लोको पॉयलट महिलाएं

अमित मिश्र

प्रयागराज, 9 मार्च 2025:

नारी हूं सब कर सकती हूं इस वाक्य में छिपी शक्ति को उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) की तीन लोको पॉयलट मनाली पटेल, रेनू यादव व सुनीता कुमारी के जज्बों में देखा जा सकता है। ये तीनों अपने घर गृहस्थी की गाड़ी चलाने के साथ ये पटरियों पर रेलों को भी रफ्तार दे रहीं हैं।

मनाली ने कहा- चैलेंज स्वीकार करना अच्छा लगा

एनसीआर क्षेत्र मे लोको पॉयलट मनाली पटेल वर्ष 2021 से रेलवे डिपार्टमेंट को अपनी सेवाए दे रही है। मनाली पटेल के मुताबिक जो लोग महिलाओ के लिए इसे आसान नहीं समझते उन्हे यह दिखाना है कि यह जॉब भी वह बेहद आसानी से कर सकती है। वो कहतीं है नार्मल काम तो सभी कर लेते हैं असली काम चैलेंज स्वीकार करना होता है। मैंने ये चैलेंज स्वीकार कर खुद के साथ न्याय किया है। परिवार के सहयोग से नौकरी व गृहस्थी में तालमेल बना हुआ है।

रेनू ने कहा-इस पोजीशन के लिए कड़ी मेहनत की

रेनू देवी प्रयगराज रेलवे स्टेशन पर लोको पायलट सेंटर के काम को सभाल रही है। जिसमे उन्हे ट्रेन को लेकर आने वाले लोको पायलट के इंजन मे आई खराबी को देखना उसे आगे तक जाने के लिए दोबारा तैयार करने की ज़िम्मेदारी अकेले सभालनी पड़ती है। रेनू ने संदीप विश्वकर्मा से शादी की। रेनू के पति संदीप ने अपनी पत्नी के सफलता के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। यही वजह थी रेनू ने मेहनत कर रेलवे में नौकरी पाई। अब रेनू अपने परिवार को बखूबी चला रही है बल्कि देश की लाइफ लाइन भारतीय रेल को भी चला रही हैं। उनका एक 9 साल का बेटा है। जिसके साथ वह अपने खाली समय को मौज-मस्ती के साथ बिताती हैं।

सुनीता बोलीं- लोगों के सम्मान से महसूस होता है गर्व

सुनीता भी लोको पायलट है। सुनीता ने बताया 10 से 12 साल से वह नौकरी मे है। नौकरी के दौरान जब ड्यूटी ऑवर ज्यादा होता है तो कभी कभी लगता है कि कहां आकार फस गए, लेकिन जितना ज्यादा काम उतना आराम भी मिलता है। घर मे पति व परिवार का पूरा सहयोग उनकी नौकरी के चैलेंज को आसान बना देता है। बदलते माहौल मे जब एक महिला लोको पर लोग देखते है तो वो जिस निगाह से आपको देखते है। बहुत प्राउड मोमेंट होता है।

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