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Reading: काशी विश्वनाथ धाम में धुनुची नृत्य के साथ शक्ति की आराधना
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Uttar Pradesh

काशी विश्वनाथ धाम में धुनुची नृत्य के साथ शक्ति की आराधना

thehohalla
Last updated: October 7, 2024 7:54 am
thehohalla 11 months ago
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काशी विश्वनाथ धाम में धुनुची नृत्य के साथ शक्ति की आराधना
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वाराणसी, 7 अक्टूबर 2024:
अंशुल मौर्य,
उत्तर प्रदेश में वाराणसी के काशी विश्वनाथ धाम में इस वर्ष नवरात्रि का उत्सव अनोखे रंग में रंगा हुआ है। पहली बार धाम में शिव की पवित्र अंगनाई में रामलीला का मंचन हो रहा है, और साथ ही शक्ति की आराधना भी की जा रही है। इसके तहत पश्चिम बंगाल की प्रसिद्ध दुर्गा पूजा की झलक भी काशीवासियों को देखने को मिल रही है। बंगाल की परंपराओं में धुनुची नृत्य का विशेष महत्व है, और इस बार काशी विश्वनाथ धाम के मंदिर चौक पर इस खास नृत्य का आयोजन हुआ।

धुनुची नृत्य: एक पारंपरिक और विशेष पूजा नृत्य धुनुची नृत्य बंगाल की दुर्गा पूजा का एक प्रमुख हिस्सा है, जिसे नवरात्रि के अवसर पर ही किया जाता है। इस नृत्य की खासियत यह है कि नर्तक मिट्टी के बर्तन, जिन्हें “धुनुची” कहा जाता है, को अपने हाथों में लेकर और कभी-कभी सिर पर संतुलित करके नृत्य करते हैं। धुनुची बर्तन में जलती हुई धूप, नारियल की जटाएं और हवन सामग्रियां डाली जाती हैं, जो पूजा के समय वातावरण को सुगंधित और पवित्र करती हैं। माना जाता है कि इस नृत्य और धूप की सुगंध से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को मनचाहा आशीर्वाद देती हैं।

काशी विश्वनाथ धाम में अनूठा दृश्य

इस वर्ष काशी विश्वनाथ धाम में नवरात्रि के दौरान बंगाली परंपराओं का समागम देखते ही बन रहा है। मंदिर परिसर में आयोजित इस धुनुची नृत्य ने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वाराणसी के लोग, जो आमतौर पर शिव और दुर्गा की पारंपरिक आराधना के अभ्यस्त हैं, उन्हें इस बार बंगाली दुर्गा पूजा की नई छटा देखने को मिली। पश्चिम बंगाल से आए कलाकारों ने अपने विशिष्ट पारंपरिक वस्त्र धारण कर धुनुची नृत्य प्रस्तुत किया, जिससे मंदिर परिसर का वातावरण भक्तिमय और सांस्कृतिक धरोहर से भरपूर हो गया।

नृत्य की महत्ता और इसकी पौराणिक मान्यता

धुनुची नृत्य को लेकर मान्यता है कि इस नृत्य के माध्यम से देवी दुर्गा की आराधना की जाती है। यह नृत्य शक्ति के प्रतीक के रूप में किया जाता है और मां दुर्गा को प्रसन्न करने का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है। नवरात्रि के इस विशेष अवसर पर धुनुची नृत्य केवल नृत्य नहीं, बल्कि भक्ति और समर्पण का प्रतीक होता है। यह नृत्य परंपरागत तरीके से बड़े उत्साह और उमंग के साथ किया जाता है, जिसमें धूप और हवन सामग्री से वातावरण पवित्र हो जाता है।

काशी में पश्चिम बंगाल की संस्कृति का अनूठा संगम

काशी विश्वनाथ धाम में इस तरह का अनूठा आयोजन देखने को मिला, जिसमें बंगाली दुर्गा पूजा और नवरात्रि की परंपराओं का मेल हुआ। पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा अपने विशेष नृत्यों और आराधनाओं के लिए प्रसिद्ध है, और इस बार काशी ने भी इसका अनुभव किया। धुनुची नृत्य का आयोजन इस सांस्कृतिक समागम का केंद्र बिंदु रहा। बंगाली परंपराओं के इस अनूठे प्रदर्शन ने भक्तों के मन में श्रद्धा और उत्साह का नया संचार किया है।
भविष्य के आयोजनों की योजना

काशी विश्वनाथ धाम में यह आयोजन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए एक अनूठा अनुभव भी साबित हुआ। मंदिर प्रशासन की ओर से संकेत दिए गए हैं कि भविष्य में भी इस तरह के आयोजन होते रहेंगे, जिससे काशी में विभिन्न परंपराओं और संस्कृतियों का संगम बना रहे। आने वाले दिनों में काशी विश्वनाथ धाम में और भी बड़े स्तर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों और धार्मिक उत्सवों का आयोजन किया जाएगा, जिससे भक्तों को भारत की विभिन्न परंपराओं से जुड़ने का अवसर मिलता रहे।

TAGGED:7 October 2024Celebration of NavratriDhunuchi DanceDurga Puja in BengalKashi Vishwanath Dham newsNews Kashi VishwanathvaranasiWorship of power
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