
अंशुल मौर्य
वाराणसी, 4 मई 2025:
यूपी की शिवनगरी काशी के दुर्गाकुंड स्थित आश्रम में रहने वाले योग गुरु बाबा शिवानंद का 128 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। पद्म श्री सम्मान प्राप्त बाबा शिवानंद बीते तीन दिन से सांस की दिक्कत से बीएचयू के सर सुंदर लाल अस्पताल में उपचार चल रहा था। सीएम योगी आदित्यनाथ ने बाबा के निधन पर शोक जताया है।
बंगाल में जन्मे बाबा ने काशी को घर बनाया
1896 में बंगाल में जन्मे बाबा ने बचपन में भिक्षा मांगकर गुजारा किया, लेकिन योग और तप के बल पर उन्होंने दुनिया को जीवन जीने की कला सिखाई। काशी में उन्हें आत्मिक शांति मिली, और यहीं उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्ष बिताए। निधन के बाद बाबा का पार्थिव शरीर उनके दुर्गाकुंड स्थित आश्रम में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। सोमवार को उनका अंतिम संस्कार संभावित है।
2022 में मिला था पद्म श्री सम्मान
बाबा शिवानंद की जिंदगी एक ऐसी मिसाल थी, जो संयम, सादगी और समर्पण की जीवंत कहानी कहती है। बाबा की सादगी और तप का प्रभाव इतना गहरा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके प्रशंसक थे। 2022 में जब बाबा को पद्मश्री सम्मान मिला, तो उन्होंने पीएम को प्रणाम किया। जवाब में, पीएम भी श्रद्धा से झुककर उन्हें नमन करने से खुद को रोक न पाए। यह क्षण बाबा के व्यक्तित्व की महानता का प्रतीक बन गया।
तपस्या की तरह दिनचर्या का पालन करते थे बाबा
शिवानंद बाबा की दिनचर्या उनके संयम और अनुशासन का आईना थी। सुबह 3 बजे उठकर ठंडे पानी से स्नान, एक घंटे तक योग और ध्यान, आधा पेट भोजन, बाकी जरूरतमंदों को दान, फल, दूध, मिर्च-मसाले से परहेज, न एसी, न हीटर बस जूट की चटाई पर सोना और लकड़ी का तकिया लगाते थे।
दुनिया को दिया योग व संयम का संदेश
बचपन में गरीबी से जूझने वाले बाबा ने दुनिया भर में घूमकर योग और संयम का संदेश फैलाया। उनकी शिक्षाएं आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में और भी प्रासंगिक हैं। वे कहते थे, “सांसों को साध लो, जीवन अपने आप सध जाएगा।”