
गाजियाबाद,16 मार्च 2025
गाजियाबाद की राजनगर आवासीय योजना के आवंटियों पर 100 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त मुआवजा देने का भार पड़ सकता है। यह मामला 1962 से चला आ रहा है, जब जीडीए ने इस योजना के लिए जमीन का अधिग्रहण किया था। उस समय किसानों को मात्र 2 रुपये प्रति वर्ग गज के हिसाब से मुआवजा दिया गया था, जिससे वे संतुष्ट नहीं थे। किसानों ने सिविल कोर्ट में केस दायर किया, जिसके बाद मुआवजा बढ़ाकर 7 रुपये प्रति वर्ग गज कर दिया गया। लेकिन किसान इसे भी कम मानते हुए हाईकोर्ट गए, जहां मुआवजा बढ़ाकर 42 रुपये प्रति वर्ग गज कर दिया गया। इतने वर्षों में मूल राशि पर ब्याज और अन्य चार्ज भी जुड़ गए, जिससे यह राशि लगभग 100 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। जब लंबे समय तक किसानों को यह मुआवजा नहीं मिला, तो मामला भू-अर्जन पुनर्वासन व व्यवस्थापन प्राधिकरण (लारा कोर्ट) में चला गया, जहां हाल ही में कोर्ट ने सख्त कार्रवाई करते हुए जीडीए के वीसी और सचिव की चल संपत्ति कुर्क करने का आदेश जारी कर दिया।
इस मामले को लेकर जीडीए अब गंभीरता से काम कर रहा है और इसे हल करने के लिए बोर्ड बैठक में प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है। हालांकि, प्रस्ताव अभी तैयार नहीं हो सका है क्योंकि इसमें जटवाड़ा सहित कई अन्य गांवों की जमीनें भी शामिल हैं, जिनका रिकॉर्ड कलेक्ट्रेट से निकाला जा रहा है। इतने लंबे समय तक इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिसके कारण किसानों को लारा कोर्ट में जाना पड़ा। अब जब कोर्ट ने सख्ती दिखाई है, तो जीडीए ने इसका समाधान निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रस्ताव के तहत, इस योजना के लिए बढ़े हुए मुआवजे की भरपाई राजनगर योजना के आवंटियों से ही की जाएगी। इससे आवंटियों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा, जैसा कि वैशाली योजना में पहले देखा जा चुका है।






