
13 से 59 वर्ष के साइकलिस्टों की अनूठी यात्रा की कहानी सिर्फ़ Ho Halla पर
अमित मिश्र
महाकुंभ नगर, 4 जनवरी 2025:
ये कहानी शुरू होती है महाराष्ट्र के उदगीर से जब 42 लोगों का साइकिलिंग ग्रुप निकल पड़ा पर्यावरण और मिट्टी संरक्षण का संदेश देने के लिए 1600 किमी लंबी साइकिल यात्रा पर। 13 से 59 वर्ष की आयु के लोगों की इस प्रेरणादायक यात्रा में उम्र कोई बाधा नहीं है। इनकी इस यात्रा का साक्षी the ho halla भी बना। 2 जनवरी 2025 को जब यह यात्रा महाकुंभ में पर्यावरण बचाओ के जागरण के साथ प्रयागराज के संगम तट पर पहुंची तो The Ho Halla ने उनसे विशेष बात की।

हमारे संवादाता अमित मिश्र का उनसे सवाल था, आपकी यात्रा का उद्देश्य और मार्ग क्या हैं?
उन्होंने बताया कि जग्गी गुरु के ईशा फाउंडेशन के अंतर्गत उदगीर साइकिलिंग ग्रुप हर साल पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए यात्रा आयोजित करता है। इस वर्ष की यात्रा उदगीर के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर से शुरू होकर वारंगा फाटा, यवतमाल, नागपुर, जबलपुर, प्रयागराज, और अयोध्या के मार्ग से होकर गुजर रही है।
ईशा फाउंडेशन के अभियान से जुड़ाव कैसे हुआ और इसके क्या मायने हैं?
उन्होंने बताया की हमारी टीम ईशा फाउंडेशन के ‘आउटरीच प्रोजेक्ट’ का हिस्सा है। हर वर्ष मिट्टी संरक्षण के लिए अपना योगदान देती है। यह यात्रा ईशा फाउंडेशन के ‘सेव सॉइल’ अभियान में भी शामिल होती है। पहले भी यह ग्रुप कावेरी आह्वान रैली और कन्याकुमारी से लेकर केरल तक कई सफल अभियानों का हिस्सा रह चुका है।
पहले भी इसी साइकिल क्लब ने उदगीर से कन्याकुमारी, केरल, कोइंबतूर, तिरुपती, जगन्नाथपुरी, ऐसे कई सारे उपलब्धियानों को प्राप्त किया हैं।
उनका कहना था कि ये साइकिलिंग क्लब इशा फाउंडेशन से अभी कुछ साल पहले नदी बचाव और कावेरी कॉलिंग के अभियान से जुड़ा है। उदगीर साइकिलिंग क्लब की शुरूआत करने वाले सुनील ममदापुरे पिछले 22 साल से हर साल दिसंबर में साइकिल यात्रा करते हैं। इस क्लब में 13 वर्षीय योगीराज बालक से लेकर 59 साल के व्यक्ति तक शामिल हैं। एक बात और इनमें से कोई छात्र है तो कोई इंजीनियर, बिजनेसमैन, कोई कलाकार। सभी लोग खुद के पैसे जमा कर हर साल इस अभियान से लोगों को जागरुक करते हैं। सोसाइटी में एक सक्रिय बदलाव लाने की कोशिश पहले खुद से शुरू करते हैं।
हमने पूछा, पिछले अभियानों का कैसा अनुभव रहा?
उन्होंने कहा कि उदगीर साइकिलिंग ग्रुप का यह कोई पहला अभियान नहीं है। पिछले 17 वर्षों में यह ग्रुप कई सफल अभियानों का हिस्सा रहा है। दल के सदस्य साईनाथ कोरे, सुनीत ममदापुरे, बबन अन्ना हैबतपुरे और योगीराज बारोले जैसे अनुभवी साइकिलिस्ट हैं। इनका मानना है कि समाज में छोटे-छोटे प्रयासों से बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।
सवाल : अयोध्या यात्रा का आपका क्या आकर्षण है ?
उन्होंने बताता कि यात्रा का समापन अयोध्या में श्रीराम मंदिर में विशेष कार्यक्रम के साथ होगा, जो इस अभियान का मुख्य आकर्षण है। यह दल ईशा फाउंडेशन के ‘आउटरीच प्रोजेक्ट’ का हिस्सा है, जो हर साल पर्यावरण और मिट्टी संरक्षण के लिए अभियान चलाता है।
सवाल : समाज में क्या संदेश डीएनए चाहते हैं?
उन्होंने बताया कि इस यात्रा ने समाज के हर वर्ग का ध्यान आकर्षित किया है। ग्रुप के सदस्य न केवल साइकिलिंग के प्रति बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी जागरूकता फैलाने में सफल रहे हैं। यह यात्रा प्रेरणा का एक जीता-जागता उदाहरण है, जो यह सिखाती है कि जब इरादे मजबूत हों, तो उम्र और दूरी सिर्फ संख्या बनकर रह जाती है।
उन्होंने कहा कि इस ग्रुप के सदस्यों का योगदान हमेशा सराहनीय रहा है। ग्रुप में आर्टिस्ट सचिन शिवाजी पेंडेलकर, साईनाथ कोरे, सुनीत ममदापुरे, बबन अन्ना हैबतपुरे और योगीराज बारोले जैसे अनुभवी साइकिलिस्ट शामिल हैं। इनकी मेहनत और लगन को समाज के विभिन्न वर्गों से सराहा जा रहा है। इनका मानना है कि समाज में छोटे-छोटे प्रयासों से बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं। उनका कहना है कि पिछले 17 वर्षों से यह ग्रुप वृक्षारोपण, प्लास्टिक मुक्त जीवन और मिट्टी संरक्षण जैसे अभियानों के माध्यम से पर्यावरण जागरूकता फैला रहा है। इस बार की यात्रा अयोध्या के श्रीराम मंदिर में विशेष कार्यक्रम के साथ समाप्त होगी, जो इस अभियान का मुख्य आकर्षण है।






