अयोध्या,30 दिसंबर 2024
6 दिसंबर 1992 से पहले, किशोर कुणाल ने बाबरी मस्जिद की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अयोध्या और फैजाबाद के कुछ इलाकों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव से केंद्र सरकार को कानून और व्यवस्था पर नियंत्रण मिलता और उत्तर प्रदेश सरकार कार सेवा को बढ़ावा नहीं दे पाती। हालांकि, नरसिंह राव सरकार ने इस योजना को अपनाया नहीं, जिसके बाद बाबरी मस्जिद विध्वंस हुआ। किशोर कुणाल, जो उस समय अयोध्या सेल के विशेष कार्य अधिकारी थे, इस प्रस्ताव के जरिए सरकार को संकट से निकालने की कोशिश कर रहे थे।
किशोर कुणाल ने वीपी सिंह और चंद्रशेखर सरकार के दौरान अयोध्या विवाद में मध्यस्थता की जिम्मेदारी निभाई। उनके प्रयासों से वीएचपी और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के बीच साक्ष्यों का आदान-प्रदान हुआ। हालांकि, विवादित साक्ष्यों पर सहमति न बनने के कारण वार्ता असफल रही। कुणाल ने अपने अनुभवों और साक्ष्यों पर आधारित पुस्तक ‘अयोध्या रिविजिटेड’ लिखी, जिसने अयोध्या मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाई। उनका नाम अयोध्या विवाद से जुड़े ऐतिहासिक और कानूनी पहलुओं में हमेशा याद किया जाएगा।