पटना,9 दिसंबर 2024
कांग्रेस पार्टी 28 दिसंबर को अपने 139वें स्थापना दिवस पर अपने गौरवशाली अतीत को याद करते हुए वर्तमान हालात पर विचार करेगी। हाल की चुनावी हारों और केंद्र में लगातार तीसरी बार सत्ता से बाहर रहने से पार्टी के नेतृत्व में बेचैनी बढ़ी है। विपक्षी दलों ने कांग्रेस को नेतृत्व सौंपने की बड़ी उम्मीद की थी, लेकिन हालिया चुनावी असफलताओं के बाद ममता बनर्जी जैसे नेता अब खुद को प्रमुख बनाने के लिए आगे आ रहे हैं। तेजस्वी यादव, शरद पवार, अखिलेश यादव, और अरविंद केजरीवाल जैसे नेता ममता के नेतृत्व का समर्थन कर रहे हैं, जिससे कांग्रेस अलग-थलग पड़ती नजर आ रही है।
कांग्रेस नेतृत्व में बदलाव की जरूरत की बातें भी उठ रही हैं, लेकिन पार्टी गांधी परिवार के वर्चस्व से बाहर निकलने को तैयार नहीं है। ममता बनर्जी ने एक बार खरगे को विपक्ष का प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव दिया था, जिसे केजरीवाल ने समर्थन दिया था, लेकिन खरगे ने राहुल गांधी को बदलने के लिए कदम नहीं उठाया। कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र की कमी और गांधी परिवार की मजबूत पकड़ के चलते पार्टी को नई दिशा की तलाश करनी मुश्किल हो रही है। पीएम मोदी का कहना सही प्रतीत होता है कि कांग्रेस अब महात्मा गांधी के जमाने वाली पार्टी नहीं रही।