
लखनऊ, 16 जनवरी 2025:
फैटी लीवर, जिसे ‘स्टेटोसिस’ भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें लीवर की कोशिकाओं में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है।यह समस्या प्रारंभिक अवस्था में अक्सर बिना लक्षणों के होती है, लेकिन समय पर पहचान और उपचार न होने पर गंभीर जटिलताएं उत्पन्न कर सकती है।
शुरुआती संकेत:
- थकान और कमजोरी: लगातार थकान और सामान्य कार्यों में भी ऊर्जा की कमी महसूस होना फैटी लीवर का प्रारंभिक संकेत हो सकता है।
- पेट में असहजता या दर्द: पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में हल्का दर्द या भारीपन महसूस होना लीवर में वसा जमाव का संकेत हो सकता है।
- भूख कम लगना और वजन घटना: भूख में कमी और बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन में गिरावट फैटी लीवर के लक्षण हो सकते हैं।
- पेट और पैरों में सूजन: लीवर की कार्यक्षमता में कमी के कारण पेट (एडिमा) और पैरों में सूजन विकसित हो सकती है।
- त्वचा और आंखों का पीलापन (पीलिया): लीवर की खराबी के चलते त्वचा और आंखों का रंग पीला पड़ सकता है, जो फैटी लीवर की उन्नत अवस्था का संकेत है।
फैटी लीवर के प्रकार:
• अल्कोहलिक फैटी लीवर: अत्यधिक शराब के सेवन से लीवर में वसा का जमाव होता है।
• नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर (NAFLD): यह तब होता है जब बिना शराब के सेवन के लीवर में वसा जमा होती है, जो मोटापा, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल आदि के कारण हो सकता है।
जोखिम कारक:
• मोटापा: अधिक वजन वाले व्यक्तियों में फैटी लीवर का जोखिम बढ़ जाता है।
• मधुमेह: टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में यह समस्या आम है।
• उच्च कोलेस्ट्रॉल: रक्त में उच्च वसा स्तर लीवर में वसा जमाव को बढ़ावा देता है।
निदान और उपचार:
यदि उपरोक्त लक्षण प्रकट हों, तो चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है।रक्त परीक्षण, अल्ट्रासाउंड, या लीवर बायोप्सी के माध्यम से फैटी लीवर का पहचान करके निदान किया जा सकता है।
रोकथाम के उपाय:
• स्वस्थ आहार: फल, सब्जियां, और कम वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
• नियमित व्यायाम: प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट शारीरिक गतिविधि करें।
• शराब का सेवन कम करें: अल्कोहल का सेवन सीमित मात्रा में करें या पूरी तरह बंद करें।
• नियमित स्वास्थ्य जांच: साल में 2-3 बार पूर्ण शारीरिक जांच करवाएं।
फैटी लीवर की प्रारंभिक पहचान और जीवनशैली में सुधार से गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है।यदि आप उपरोक्त लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें।