कुंभनगरी,10 फरवरी 2025
महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं की आस्था के साथ कई परिवारों को मां गंगा का विशेष आशीर्वाद भी मिला, जब उनके घर नन्हे मेहमानों की किलकारी गूंजी। स्नान और दान के साथ मिले इस अनमोल प्रसाद ने उनके लिए यह अनुभव यादगार बना दिया। सेक्टर दो में स्थित 100 बेड वाले अत्याधुनिक केंद्रीय अस्पताल में अब तक 11 बच्चों का जन्म हो चुका है, जबकि मेला क्षेत्र के कर्ण अस्पताल में भी एक बच्चे ने जन्म लिया। 30 दिसंबर से 6 फरवरी तक, यानी हर 78 घंटे में औसतन एक नवजात ने कुंभ के अस्पताल में जन्म लिया। इन माताओं में उत्तर प्रदेश के कई जिलों के अलावा झारखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान से आई महिलाएँ भी शामिल थीं, जिनमें से कुछ मेले में काम करने वाले कर्मचारियों की पत्नियाँ थीं, तो कुछ व्यापारिक परिवारों से थीं।
महाकुंभ में जन्म लेने वाले बच्चों के नाम भी इस पावन आयोजन और स्थान की पवित्रता से प्रेरित होकर रखे गए। डॉक्टरों और परिजनों की सहमति से पहले जन्मे बच्चे का नाम “कुंभ” रखा गया, जबकि अन्य बच्चों को “गंगा,” “यमुना,” “सरस्वती,” “संगम,” “अमृत,” “बजरंगी,” “शंभू,” “कर्ण,” “वसंत” और “वसंती” जैसे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व वाले नाम मिले। गुरुवार रात को बाराबंकी की कंचन ने एक बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम “शिवशंकर” रखा गया। इन नवजातों के आगमन ने उनके माता-पिता के जीवन को धन्य कर दिया और कुंभ मेले की स्मृतियों को और भी खास बना दिया।