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धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है महाकुंभ : आचार्य मिथिलेशनंदिनी

गोरखपुर, 22 फरवरी 2025:

सिद्धपीठ श्रीहनुमन्निवास धाम अयोध्या के महंत आचार्य मिथिलेशनंदिनी शरण ने प्रयागराज महाकुंभ को अपूर्व और विलक्षण बताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सुचारु व्यवस्था की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि यह महाकुंभ अपने भव्य आयोजन और श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व उपस्थिति के कारण ऐतिहासिक है।

आचार्य मिथिलेशनंदिनी ने कहा कि पहले की सरकारों ने कभी कुंभ को केंद्रीय महत्व नहीं दिया, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समर्पित प्रयासों ने इसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बना दिया। उन्होंने कहा कि यह महाकुंभ न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है, जहां 60 करोड़ श्रद्धालु एकत्रित हुए।

गंगा की शुद्धता पर उठे सवालों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि गंगा को मात्र नदी समझना भारतीय आस्था की अवहेलना है। गंगा का महत्व केवल जल विज्ञान से नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि गंगा की पवित्रता को प्रमाणित करने की बजाय आत्मशुद्धि पर ध्यान देना चाहिए।

महाराणा प्रताप महाविद्यालय, जंगल धूसड़ में आयोजित ‘महाकुंभ 2025: परंपरा, अनुष्ठान और महत्ता’ पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए उन्होंने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ 2025 को भारतपुरुष का विराट रूप कहा जाना चाहिए, जिसने भारतीय सांस्कृतिक एकता को सशक्त किया है।

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में आचार्य मिथिलेशनंदिनी के साथ काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो. के रामचंद्र रेड्डी और त्रिभुवन विश्वविद्यालय नेपाल के डॉ. सुबोध कुमार शुक्ल भी विशिष्ट अतिथि रहे। इस अवसर पर ‘सनातन परंपरा का महापर्व: महाकुंभ’ पुस्तक का विमोचन भी हुआ।

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