
लखनऊ, 5 अप्रैल 2025:
इन्वेस्ट यूपी में वसूली के आरोपों में निलंबित आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। विजिलेंस जांच के साथ अब डीजीपी मुख्यालय ने वसूली प्रकरण की गहन जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया है।
एसआईटी में बाराबंकी के एडिशनल एसपी विकास चंद्र त्रिपाठी, गोमतीनगर के एसीपी विनय द्विवेदी और लखनऊ में तैनात इंस्पेक्टर आलोक राव को शामिल किया गया है।
निलंबित आईएएस अफसर अभिषेक प्रकाश पर कसेगा शिकंजा
अब तक इस मामले की विवेचना एसीपी गोमतीनगर विनय द्विवेदी द्वारा की जा रही थी। हालांकि, वसूली के आरोपों के बावजूद निलंबित आईएएस अभिषेक प्रकाश का नाम एफआईआर में नहीं जोड़ा जा सका है। इसके अलावा, बिचौलिए निकांत जैन को रिमांड पर लेकर पूछताछ करने के बजाय सीधे अदालत में पेश किया गया, जहां उसके खिलाफ दर्ज दो गलत धाराओं को हटाना पड़ा।
इन खामियों के चलते गोमतीनगर पुलिस की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे थे। अब एसआईटी मामले की नए सिरे से विवेचना कर ठोस सबूत जुटाएगी। यदि जांच में साक्ष्य मिलते हैं, तो आईएएस अभिषेक प्रकाश का नाम भी मुकदमे में शामिल किया जा सकता है।
विजिलेंस कर रही संपत्ति की गोपनीय जांच
वसूली के आरोप में निलंबित किए गए आईएएस अफसर अभिषेक प्रकाश के खिलाफ विजिलेंस ने गोपनीय जांच शुरू कर दी है। सीएम योगी के आदेश पर उनकी और उनके परिजनों की सभी चल-अचल संपत्तियों की जांच की जाएगी। नियुक्ति विभाग के पत्र के परीक्षण के बाद गृह विभाग ने विजिलेंस को जांच का निर्देश दिया है।
कई जिलों में डीएम रह चुके अभिषेक प्रकाश
अभिषेक प्रकाश इन्वेस्ट यूपी के अलावा लखीमपुर खीरी, बरेली, हमीरपुर, लखनऊ और अलीगढ़ के डीएम तथा लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। लखीमपुर और बरेली में डीएम रहते उन पर कृषि भूमि खरीद के आरोप लगे थे, लेकिन जांच में क्लीन चिट मिल गई थी। अब विजिलेंस उनकी कुल वैध आय, खर्च और संपत्तियों का मिलान करेगा। जांच पूरी होने के बाद अभिषेक प्रकाश से स्पष्टीकरण लिया जाएगा और रिपोर्ट शासन को सौंपी जाएगी। आरोप सिद्ध होने पर उनके खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई होगी।






